गझल |
स्वीकारले |
केदार पाटणकर |
गझल |
मी फुलांची मूक भाषा जाणतो..... |
खलिश |
गझल |
तू जरा समजून घे |
प्रज्ञा महाजन |
गझल |
सत्य |
अजय अनंत जोशी |
गझल |
शाप |
निलेश |
कार्यक्रम |
बारावे आचार्य अत्रे मराठी साहित्य सम्मेलन १३ औग्स्ट रोजी सासवडला |
दशरथयादव |
कार्यक्रम |
"ऋतु गजलांचे" या गझलांच्या 'सीडी'चा प्रकाशन सोहळा |
जयन्ता५२ |
गझल |
विठू |
क्रान्ति |
गझल |
रात्र आधी मोजतो |
जयन्ता५२ |
गझल |
जायचे आहे कुठे पण? |
भूषण कटककर |
गझल |
जाग |
क्रान्ति |
गझल |
बहरली मनाची कधी बाग साधी ? |
खलिश |
गझल |
हुंदका साधा तुझा सांगून गेला |
सोनाली जोशी |
गझल |
उदास...! |
प्रदीप कुलकर्णी |
गझल |
ह्या कशा उबदार ओळी... |
वैभव जोशी |
गझलचर्चा |
गझल सुचण्याच्या प्रक्रियेचे निकष! |
भूषण कटककर |
गझल |
असाच कधी |
शगुन |
गझल |
फुलानां स्वप्नात ही काटे बोचले ..... |
खलिश |
गझल |
इथे तर पानगळ बहरात आहे |
जयन्ता५२ |
पृष्ठ |
मा.शंकर वैद्यांची गझल |
जयन्ता५२ |
गझल |
अलिप्त |
क्रान्ति |
गझल |
..उशीर |
ज्ञानेश. |
गझल |
मद्यालय |
भूषण कटककर |
गझल |
असे पाण्यामुळे गंगा |
अजय अनंत जोशी |
गझल |
माझ्या मनासी कळेना |
हरीश दांगट |