गझल |
पुन्हा पुन्हा ते तसेच होते |
भूषण कटककर |
गझल |
वेदना |
प्रज्ञा महाजन |
गझल |
नारद |
भूषण कटककर |
गझल |
...पेटारा ! |
प्रदीप कुलकर्णी |
गझल |
आजही |
भूषण कटककर |
गझललेख |
भाषा - एक कपाट |
भूषण कटककर |
गझल |
काळजी |
आनंदयात्री |
गझल |
सारे तुझ्यात आहे |
जयश्री अंबासकर |
गझल |
कुठलेच स्वप्न आता - डी. एन. गांगण |
मीर क्षीरसागर |
गझल |
ओळख |
काव्यरसिक |
गझल |
धागे |
क्रान्ति |
गझल |
सखे ठोठावते आहेस कुठले दार देहाचे? |
ॐकार |
गझल |
गझल : रात्र सारी चांदण्याने दु:खः माझे पाहिले - पु नः संपादित |
खलिश |
गझल |
आज उद्या |
इलोवेमे |
गझल |
मन्मना...! |
काव्यरसिक |
गझल |
जाग |
काव्यरसिक |
गझल |
वेदना |
काव्यरसिक |
गझल |
मला माझ्या गुन्ह्याची फार मोठी स ज़ा झाली .... |
खलिश |
गझल |
प्रवास |
इलोवेमे |
गझल |
गजल |
कल्पना शिन्दे |
गझललेख |
मराठी गझलचे 'तंत्र’-काही प्रश्न. |
सदानंद डबीर |
गझल |
ग झ ल : रात्र थोडी गार होती ..... |
खलिश |
गझल |
ग झ ल : तू कधी स्वप्नात माझ्या येशील का ? ..... |
खलिश |
गझल |
तु जाता |
इलोवेमे |
गझल |
गझल : हात माझ्या काळ्जाला लावू नको..... |
खलिश |