आज उद्या


आज जे जे येणार आहे
ते ते उद्या जाणार आहे

मित्र शत्रु  जमले दारी
काय मी मरणार आहे

जे वसंती प़क्षीहीन
झाड ते मरणार आहे

जगणे सुखाचे क्षणीक
दु:ख ना सरणार आहे

का नेहमी जय रुपाचा?
प्रेम का हरणार आहे?

आयुष्याची हीच अखेर
राख जी उरणार आहे

गझल: 

प्रतिसाद


  hi everybody  goodmorning
           i am putting my new gajhal   for ur  appreciation, opinion and
suggestion.
                     feel free to express ur views 
                          thank you