गझल |
पाहिजे तेव्हा कुणीही... |
केदार पाटणकर |
गझल |
चांदणी, चंचला, कामिनी, सुंदरा, मोहिनी, अप्सरा, कोण आहेस तू |
वैभव देशमुख |
गझललेख |
भटसाहेबांच्या सहवासात... |
प्रदीप कुलकर्णी |
गझल |
खूप बोलू लागला अंधार नंतर |
चित्तरंजन भट |
गझल |
सिग्नल |
विजय दि. पाटील |
गझल |
मागचे येतील नंतर |
केदार पाटणकर |
गझल |
नवी गझल |
विजय दि. पाटील |
गझल |
नाव रिकामी |
केदार पाटणकर |
गझल |
विचित्र |
जयदीप |
गझल |
वेढुनी आवेग माझा रोज गाभुळतेस तू |
बेफिकीर |
गझल |
अनुभव |
जयदीप |
गझल |
जागरण डोळ्यांमधे आता लमाण्यासारखे नाही |
चित्तरंजन भट |
गझल |
अफवा |
इंद्रजित उगले |
Photo |
इय्याक नस्तईन (हम्द) |
विश्वस्त |
Photo |
बात हम नहीं करते |
विश्वस्त |
Photo |
धोरण (हझल) |
विश्वस्त |
गझल |
गझल |
विजय दि. पाटील |
गझल |
वाहते का ? हवाच आहे की ! |
चित्तरंजन भट |
गझल |
गझल |
विजय दि. पाटील |
गझल |
बोलली डोळ्यातुनी ती आणि कविता सुचत गेली... |
जनार्दन केशव म्... |
गझल |
क्षण तो सोसाट्याचा होता |
वैभव देशमुख |
गझल |
थांग मनाचा कधी गवसला |
चित्तरंजन भट |
गझल |
विश्व समजू लागलो अपुल्या घराला |
वैभव देशमुख |
गझल |
शेर तुझ्यावर लिहिला आहे |
जयदीप |
गझल |
जगण्याचे मातेरे होते... |
वैभव देशमुख |