गझललेख |
पहा ग़ालिब काय म्हणतो |
विश्वस्त |
गझल |
रुढी परंपरेचा का बांधलास शेला? |
विद्यानंद हाडके |
गझललेख |
हरफनमौला सुरेश |
विश्वस्त |
गझल |
अनुमान! |
प्रदीप कुलकर्णी |
गझल |
अदृश्यच असतो क्रूस कधी |
चित्तरंजन भट |
गझललेख |
शे(अ)रो-शायरी , भाग १०: वह शख़्स कि मैं जिससे मुहब्बत नही करता |
मानस६ |
गझल |
येत नाही मी |
अनिल रत्नाकर |
गझल |
मी तुझा,तुझा असेन आमरण |
कैलास |
गझल |
...व्यवसाय मी |
अनिल रत्नाकर |
गझल |
किनारा गाठण्यासाठी |
बेफिकीर |
गझल |
असंभव |
आनंदयात्री |
गझल |
कुठे लुप्त झाले फुले-भीम-बापू? |
गंगाधर मुटे |
गझल |
बत्तीस तारखेला |
गंगाधर मुटे |
गझल |
भिंती !! |
supriya.jadhav7 |
गझल |
हुंदका ओठातला पोटात नाही |
supriya.jadhav7 |
गझल |
अस्तित्व दान केले |
गंगाधर मुटे |
गझल |
माहीत नाही... |
जिज्ञासा... |
गझल |
छडा लागला रे |
सुरेश शिरोडकर |
गझल |
क्षण एक पुरे जगण्यास खरा |
मयुरेश साने |
गझल |
माती |
मिल्या |
गझल |
मजकूर |
आनंदयात्री |
गझल |
काळ |
जयन्ता५२ |
गझल |
''मागणे'' |
कैलास |
गझल |
''सरावाने'' |
कैलास |
गझल |
मी कुठे शोधू अता ती ओळखीची माणसे |
शाम |