गझल |
तुझी आभाळपुण्याई तुकोबा |
वैभव वसंतराव कु... |
गझल |
वरून शांत शांत वाटते किती... |
जयदीप |
गझल |
मी काही स्वप्नांच्या नुसता सोबत बसतो |
प्रसाद लिमये |
गझल |
हसवणारे, खिदळणारे |
केदार पाटणकर |
गझल |
हा स्वत्वाचा तपास मानू आता |
बेफिकीर |
गझल |
एकटा सागरकिनारा एकटा |
चित्तरंजन भट |
गझल |
कुणीच नव्हते आले निरोप देण्यासाठी ... |
अनंत ढवळे |
गझल |
कुठे नेतील या वाटा मनाला.... |
अनंत ढवळे |
गझल |
इतके धुळकट रस्ते इथले.... |
अनंत ढवळे |
गझल |
गझल |
अनंत ढवळे |
गझल |
खोल डोहाच्या तळाशी साचलेला गाळ हो |
बेफिकीर |
गझल |
नदीला सागराची ओढ असली तर असू द्या ना |
मिल्या |
गझल |
एकदा शून्यास माझ्या तू वजा कर... |
जयदीप |
गझल |
तुझे घन आजही बरसून माझी आसवे गेले |
वैभव वसंतराव कु... |
गझल |
इरेला पेटला आहे पिसारा |
अजय अनंत जोशी |
गझल |
खुल्या मनाने |
केदार पाटणकर |
गझल |
नेहमी गर्दी तुला जी लागते |
जयदीप |
गझल |
पायथा बांधायला आधार नव्हता जोरकस |
बेफिकीर |
गझल |
अतोनात तिटकारा येतो |
supriya.jadhav7 |
गझल |
शेवट लिहलेला असतो सुरुवातीवरती |
शाम |
गझल |
हाक |
प्रदीप कुलकर्णी |
गझल |
ऎकले आहे तुला ती साथ देते |
जयदीप |
गझल |
अशी कशी ही बदलत गेली सर्व माणसे |
अनिरुद्ध अभ्यंकर |
गझल |
अबोल |
कैलास |
गझल |
वारे जरासे गातील काही.. |
अजय अनंत जोशी |