गझल |
आपण |
ज्ञानेश. |
पृष्ठ |
आपणांस काय वाटते? |
विश्वस्त |
गझल |
घर |
ज्ञानेश. |
गझल |
शब्द बेहोश कर.. |
सुशांत खुरसाले. |
गझल |
कैफ हा ओसाड का इतका ? |
चित्तरंजन भट |
गझल |
वाहते चुपचाप आहे खोल पाणी |
चित्तरंजन भट |
गझल |
मला सांभाळले आहे.. |
ज्ञानेश. |
गझल |
...देव आहे अंतरी |
अजय अनंत जोशी |
गझल |
जन्म वाभरा |
वैभव वसंतराव कु... |
गझल |
आवरण |
ज्ञानेश. |
गझल |
हासल्यासारखी भासती माणसे |
बेफिकीर |
गझल |
मनाच्या अडगळीमधले बिलोरी आरसे शोधू |
जयदीप |
गझल |
झोप लागायला पाहिजे |
जयदीप |
गझल |
मागे जयजयकार चालला आहे |
बाळ पाटील |
गझल |
काय देईल गारवा रस्ता |
बेफिकीर |
गझल |
नको तसे घडण्यावरती ह्यासाठी मन जडले होते |
बेफिकीर |
गझल |
एक पाखरु फांदीवर... |
वैभव देशमुख |
गझल |
मन आता हे कळल्यावरती उदास नाही.. |
जयदीप |
गझल |
मधेच वाहते मधेच थांबते |
जयदीप |
गझल |
गझल : ज्यामुळे जग ही नशीली रम्यता राखून आहे |
वैभव वसंतराव कु... |
गझल |
गझल : माझ्या लक्षातच नाही |
वैभव वसंतराव कु... |
गझल |
संगमावरी दोन्ही प्रवाह तुंबळ लढणे |
बेफिकीर |
गझल |
अमल |
विजय दि. पाटील |
गझल |
सांग कसे ते कण्हतानाही गात असावे... |
जयदीप |
गझल |
स्त्री समीप येते ... |
अजय अनंत जोशी |