गझल |
उगीच का प्राण.... |
अजय अनंत जोशी |
रवि, 08/08/2010 - 10:48 |
गझल |
ठेवणीतल्या आठवणींना.... |
प्रदीप कुलकर्णी |
शनि, 07/08/2010 - 19:15 |
गझल |
हा शब्दांच्या गुणसूत्रांचा दोष असावा |
अनिरुद्ध अभ्यंकर |
शुक्र, 06/08/2010 - 19:32 |
गझल |
पापणी अद्याप माझी... |
केदार पाटणकर |
गुरु, 05/08/2010 - 10:22 |
गझल |
चालतो ऐसा जणू .... |
ह बा |
गुरु, 05/08/2010 - 10:10 |
गझल |
पराक्रमी असा मी |
गंगाधर मुटे |
मंगळ, 03/08/2010 - 11:05 |
गझललेख |
शे(अ)रो शायरी, भाग-५ : दोस्ती से दुश्मनी शरमाई रहती है |
मानस६ |
रवि, 01/08/2010 - 19:36 |
गझल |
'' कैलास '' |
कैलास |
रवि, 01/08/2010 - 11:52 |
गझल |
'' शेवटी '' |
कैलास |
शनि, 31/07/2010 - 23:02 |
गझल |
शंकर रामाणींची गझल |
जयन्ता५२ |
शनि, 31/07/2010 - 16:36 |
गझल |
माझ्या मनात थोडे... |
केदार पाटणकर |
शनि, 31/07/2010 - 15:58 |
गझल |
ती स्वप्नसुंदरी |
गंगाधर मुटे |
गुरु, 29/07/2010 - 20:10 |
गझल |
टोचले होते.. |
अजय अनंत जोशी |
बुध, 28/07/2010 - 07:57 |
गझल |
प्रदेश... |
प्रदीप कुलकर्णी |
मंगळ, 27/07/2010 - 21:11 |
गझल |
कधी स्वतःच्या ... |
अजय अनंत जोशी |
सोम, 26/07/2010 - 10:06 |
गझल |
गोचिडांची मौजमस्ती |
गंगाधर मुटे |
शुक्र, 23/07/2010 - 10:24 |
गझल |
इतकी सुंदर ढाल? |
ह बा |
शुक्र, 23/07/2010 - 10:00 |
गझल |
धान्य हा तर दारूसाठी माल कच्चा.. |
कैलास गांधी |
गुरु, 22/07/2010 - 13:57 |
गझल |
हा काळ हरामी मलाच गंडा घालून जातो |
कैलास गांधी |
गुरु, 22/07/2010 - 13:48 |
गझल |
वाटे कधी कधी |
कैलास |
गुरु, 22/07/2010 - 09:59 |
गझल |
किती सोपे मला हे प्रेम करणे वाटले होते... |
बहर |
गुरु, 22/07/2010 - 00:13 |
गझल |
खुळा साज आहे.. |
बहर |
बुध, 21/07/2010 - 04:29 |
गझल |
पाणपोई |
अनिल रत्नाकर |
बुध, 21/07/2010 - 02:45 |
गझल |
शक्य नाही |
स्नेहदर्शन |
मंगळ, 20/07/2010 - 14:51 |
गझल |
असे नव्हे |
मिल्या |
मंगळ, 20/07/2010 - 13:32 |