गझल |
रहस्ये गाडली गेली तळाशी |
सोनाली जोशी |
शुक्र, 04/06/2010 - 19:17 |
गझललेख |
शे(अ)रो-शायरी, भाग-३ : तुम्हारे खत में |
मानस६ |
गुरु, 03/06/2010 - 23:59 |
गझल |
अधाशी.... |
ameeeeet |
गुरु, 03/06/2010 - 22:38 |
गझल |
तुझ्या केसात |
आदित्य_देवधर |
गुरु, 03/06/2010 - 12:19 |
गझल |
वाट पाहे दारावरी |
आदित्य_देवधर |
गुरु, 03/06/2010 - 11:35 |
गझल |
पाहते |
आदित्य_देवधर |
गुरु, 03/06/2010 - 10:46 |
गझल |
अवेळी अशा.. |
ज्ञानेश. |
गुरु, 03/06/2010 - 09:15 |
गझल |
चंद्र झालो |
आदित्य_देवधर |
बुध, 02/06/2010 - 16:10 |
गझल |
माणसांना भार होती माणसे |
निलेश कालुवाला |
बुध, 02/06/2010 - 13:52 |
गझल |
...घट एकांतात झरावा ! |
प्रदीप कुलकर्णी |
मंगळ, 01/06/2010 - 19:25 |
गझल |
दिसू लागले स्पष्ट जेवढे |
चित्तरंजन भट |
मंगळ, 01/06/2010 - 17:34 |
गझल |
माती |
मिल्या |
मंगळ, 01/06/2010 - 11:59 |
गझल |
भेटाया आल्या गझला, त्याच्या नंतर. |
ह बा |
मंगळ, 01/06/2010 - 11:20 |
गझल |
बाकी तसा कैदेत काही त्रास नसतो 'बेफिकिर' |
बेफिकीर |
मंगळ, 01/06/2010 - 00:14 |
गझल |
... वंशातल्यांचे |
अजय अनंत जोशी |
रवि, 30/05/2010 - 18:12 |
गझल |
माणसाला म्हणे मारते भाकरी! |
ह बा |
शनि, 29/05/2010 - 11:47 |
गझल |
चालताना ........ |
निलेश कालुवाला |
शुक्र, 28/05/2010 - 16:25 |
गझल |
छोट्या बहराची गझल |
आनंदयात्री |
गुरु, 27/05/2010 - 22:52 |
गझल |
चढलेल्यांना निम्मा करतो |
अजय अनंत जोशी |
गुरु, 27/05/2010 - 21:23 |
गझल |
उसवित बसले बूड कवी हे ज्या झोळ्यांचे |
ह बा |
गुरु, 27/05/2010 - 16:32 |
गझल |
काल ज्या क्षणी तुला मी पाहिले प्रिये |
कैलास |
गुरु, 27/05/2010 - 14:53 |
गझल |
ऐकत नाही आता हे मन... |
मधुघट |
गुरु, 27/05/2010 - 13:06 |
गझल |
कुणाकुणाला जरी समजला, मला परंतू कळला नाही... |
सोनाली जोशी |
बुध, 26/05/2010 - 21:20 |
गझल |
नव्हतो |
आनंदयात्री |
बुध, 26/05/2010 - 20:11 |
गझल |
तू कधी ही न रागावली पाहिजे |
कैलास |
बुध, 26/05/2010 - 17:23 |