गझल |
दु:ख माझे सोबती ! |
प्रशान्त वेळापुरे |
बुध, 26/05/2010 - 16:16 |
गझल |
हरवलाच रुखवती उखाण्याचा गोडवा |
ह बा |
बुध, 26/05/2010 - 15:28 |
गझल |
हा जुगार |
केदार पाटणकर |
बुध, 26/05/2010 - 14:33 |
गझल |
हेच असावे सत्य... |
अजय अनंत जोशी |
मंगळ, 25/05/2010 - 17:58 |
गझल |
थवा |
मनीषा साधू |
मंगळ, 25/05/2010 - 14:13 |
गझल |
तरी समुद्रा तुझ्या किनारी |
बेफिकीर |
मंगळ, 25/05/2010 - 11:56 |
गझल |
पाय ओढायला जडतात ती! |
ह बा |
सोम, 24/05/2010 - 16:00 |
गझल |
उधाणलेला समुद्र.... |
जनार्दन केशव म्... |
सोम, 24/05/2010 - 11:55 |
गझल |
दुःखे |
योगेश्वर रच्चा |
सोम, 24/05/2010 - 02:20 |
गझल |
निखारे |
योगेश्वर रच्चा |
सोम, 24/05/2010 - 02:18 |
गझल |
दूरचा किनारा |
योगेश्वर रच्चा |
सोम, 24/05/2010 - 02:03 |
गझल |
तुकारामा.. |
रुपेश देशमुख |
शनि, 22/05/2010 - 15:31 |
गझल |
त्यांनी..... |
अमित वाघ |
शनि, 22/05/2010 - 15:13 |
गझल |
पाखरे खाऊन गेली चाळलेल्या वेदना |
ह बा |
शनि, 22/05/2010 - 10:43 |
गझल |
'चुकलो' म्हणेन मी तर सोकावतील सारे |
चक्रपाणि |
शुक्र, 21/05/2010 - 23:05 |
गझल |
गझल : प्रा.रुपेश देशमुख |
रुपेश देशमुख |
शुक्र, 21/05/2010 - 18:59 |
गझल |
का सूर नवा हा छेडत जाते भासांची वीणा ? |
सोनाली जोशी |
गुरु, 20/05/2010 - 21:02 |
गझल |
नाचली काळीज ते पेलीत काही माणसे |
ह बा |
गुरु, 20/05/2010 - 17:41 |
गझल |
तळ |
मिलिन्द हिवराले |
गुरु, 20/05/2010 - 15:29 |
गझल |
पांडुरंगा |
प्रशान्त वेळापुरे |
सोम, 17/05/2010 - 16:46 |
गझल |
काळोख |
प्रशान्त वेळापुरे |
सोम, 17/05/2010 - 16:39 |
गझललेख |
शे(अ)रो-शायरी, भाग-२: पा-ब-गिल सब है |
मानस६ |
रवि, 16/05/2010 - 23:45 |
गझल |
कदाचित |
कुमार जावडेकर |
रवि, 16/05/2010 - 21:31 |
गझल |
सजा |
क्रान्ति |
रवि, 16/05/2010 - 12:24 |
गझल |
जायला हवे ! |
प्रदीप कुलकर्णी |
शुक्र, 14/05/2010 - 21:21 |