गझल |
ही घडी दे !!! |
supriya.jadhav7 |
शुक्र, 29/10/2010 - 22:04 |
गझल |
एक होऊ या क्षणी |
केदार पाटणकर |
शुक्र, 29/10/2010 - 17:07 |
गझल |
रात्र झाली फ़ार आता !!! |
supriya.jadhav7 |
बुध, 27/10/2010 - 16:24 |
गझल |
सांत्वन...( गझल ) |
mamata.riyaj@gm... |
बुध, 27/10/2010 - 11:33 |
गझल |
सांगू कसे...?(गझल) |
mamata.riyaj@gm... |
बुध, 27/10/2010 - 11:24 |
गझल |
चुंबिण्या येऊ नको तू |
मयुरेश साने |
सोम, 25/10/2010 - 23:58 |
गझल |
देत जा... |
कमलाकर देसले |
सोम, 25/10/2010 - 22:11 |
गझल |
फीतूर .... |
कविता मोकाशी |
सोम, 25/10/2010 - 21:44 |
गझल |
शेवटाला चार नाही(त) !!! |
supriya.jadhav7 |
सोम, 25/10/2010 - 14:54 |
गझल |
का....?(गझल) |
mamata.riyaj@gm... |
रवि, 24/10/2010 - 20:03 |
गझल |
शहर झाले चांदण्याचे |
चित्तरंजन भट |
रवि, 24/10/2010 - 00:44 |
गझल |
'व्यथा'....(गझल) |
mamata.riyaj@gm... |
शनि, 23/10/2010 - 23:01 |
गझल |
की ? कागदाशी खेळणारा टाक आहे ? |
मयुरेश साने |
शनि, 23/10/2010 - 11:16 |
गझल |
ते सिंह गर्जनेला कोल्हे कुई म्हणाले................... |
मयुरेश साने |
शनि, 23/10/2010 - 09:38 |
गझल |
अजून श्वास पाळती ! तुझ्या खुणा पुन्हा पुन्हा...... |
मयुरेश साने |
शुक्र, 22/10/2010 - 23:48 |
गझल |
भेटतो जरी अता नेहमी हसून पण |
शाम |
शुक्र, 22/10/2010 - 22:38 |
गझल |
कोजागिरी !!! |
supriya.jadhav7 |
शुक्र, 22/10/2010 - 12:17 |
गझल |
...पण सुरूच आहे रहदारी ! |
प्रदीप कुलकर्णी |
बुध, 20/10/2010 - 21:10 |
गझल |
... स्मरण असावे |
अजय अनंत जोशी |
रवि, 17/10/2010 - 21:16 |
गझल |
''वाटतो जरी प्रसन्न मी वरुन'' |
कैलास |
शुक्र, 15/10/2010 - 09:50 |
गझल |
आवेग दाटलेला !!! |
supriya.jadhav7 |
गुरु, 14/10/2010 - 12:46 |
गझल |
सांजवेळी आठवांचा मेघ हा दाटे पुन्हा.. |
शाम |
बुध, 13/10/2010 - 10:03 |
गझल |
मनाला किती अन् कसे आवरावे? |
शाम |
मंगळ, 12/10/2010 - 19:32 |
गझल |
छडा लागला रे |
सुरेश शिरोडकर |
शनि, 09/10/2010 - 17:08 |
गझल |
....सारे मला मिळाले !!! (गझल). |
supriya.jadhav7 |
शनि, 09/10/2010 - 16:01 |