गझल |
अधनंमधनं आनंदाची कडमड आहे |
विजय दि. पाटील |
गुरु, 13/01/2011 - 11:01 |
गझल |
व्यर्थ जगणे ! |
supriya.jadhav7 |
बुध, 12/01/2011 - 23:24 |
गझल |
योग नाही! |
क्रान्ति |
मंगळ, 11/01/2011 - 21:12 |
गझल |
नाव तुझ्या ओठावर... |
वैभव देशमुख |
मंगळ, 11/01/2011 - 10:41 |
गझललेख |
शे(अ)रो शायरी, भाग-८ : कभी नेकी भी उसके जी में गर आ जाये है मुझ से |
मानस६ |
सोम, 10/01/2011 - 22:51 |
गझल |
दावा .. |
कमलाकर देसले |
सोम, 10/01/2011 - 22:03 |
गझल |
राखते तोल मी.....!!! |
supriya.jadhav7 |
सोम, 10/01/2011 - 20:25 |
गझल |
आयुष्य गोल आहे |
मिल्या |
शुक्र, 07/01/2011 - 13:11 |
गझल |
कळा लागल्या |
क्रान्ति |
शुक्र, 31/12/2010 - 22:40 |
गझल |
अबोला गाजला होता |
मयुरेश साने |
बुध, 29/12/2010 - 22:28 |
गझल |
सोकावलेल्या अंधाराला इशारा |
गंगाधर मुटे |
बुध, 29/12/2010 - 11:30 |
गझल |
''सावली'' |
कैलास |
शनि, 25/12/2010 - 10:02 |
गझल |
ह्याहून मोठे अक्रीत काही घडणार नाही |
विजय दि. पाटील |
बुध, 22/12/2010 - 15:05 |
गझल |
अदृश्यच असतो क्रूस कधी |
चित्तरंजन भट |
मंगळ, 21/12/2010 - 12:16 |
गझल |
''वेदना'' |
कैलास |
रवि, 19/12/2010 - 12:41 |
गझल |
हात होतो पुढे भिकार्यांचा |
बेफिकीर |
शनि, 18/12/2010 - 01:46 |
गझल |
जिथे मी पोचलो तेथे तुझे माहेर होते |
बेफिकीर |
बुध, 15/12/2010 - 18:44 |
गझल |
जे जसे आहे तसे स्वीकारतो मी शेवटी... |
बेफिकीर |
मंगळ, 14/12/2010 - 20:03 |
गझल |
मी प्रेम दे म्हणालो... |
शाम |
शनि, 11/12/2010 - 20:42 |
गझल |
मिसरे |
क्रान्ति |
शुक्र, 10/12/2010 - 19:29 |
गझल |
मी विस्कटल्या खोलीत मनाच्या.. |
बहर |
गुरु, 09/12/2010 - 11:28 |
गझल |
शिखर त्यांनी गाठलेले - |
विदेश |
बुध, 08/12/2010 - 17:06 |
गझल |
मी डाव मांडलेला........ |
मनिषा नाईक. |
मंगळ, 07/12/2010 - 19:54 |
गझल |
मरण्यात अर्थ नाही |
गंगाधर मुटे |
रवि, 05/12/2010 - 11:44 |
गझल |
पुन्हा पुन्हा !! |
supriya.jadhav7 |
शनि, 04/12/2010 - 09:07 |