गझल |
भिंती !! |
supriya.jadhav7 |
बुध, 18/05/2011 - 16:12 |
गझल |
गर्भार... |
रुपेश देशमुख |
बुध, 18/05/2011 - 14:45 |
गझल |
आवश्यक ! |
ज्ञानेश. |
शुक्र, 13/05/2011 - 15:30 |
गझल |
मैफील आज जमली - |
विदेश |
शुक्र, 13/05/2011 - 15:23 |
गझल |
धमन्यांत वाहते रक्त.. |
बहर |
गुरु, 12/05/2011 - 00:45 |
गझल |
तुझे हेच डोळे... |
Rajdeep_Fool |
बुध, 11/05/2011 - 22:11 |
गझल |
विसावा |
प्रदीप कुलकर्णी |
शनि, 07/05/2011 - 20:10 |
गझल |
आईच्या पोटात कधी हा भेद कुणी का शिकले? |
विजय दि. पाटील |
गुरु, 28/04/2011 - 09:47 |
गझल |
रिमझिमणारी |
निशिकांत दे |
रवि, 24/04/2011 - 09:37 |
गझल |
विझले निखारे |
संतोष कसवणकर |
शनि, 23/04/2011 - 17:32 |
गझल |
असे झाले तसे झाले.... |
मयुरेश साने |
शनि, 23/04/2011 - 14:43 |
गझल |
ऊठ तू आता तरी |
निशिकांत दे |
शुक्र, 22/04/2011 - 10:57 |
गझल |
कुठे लुप्त झाले फुले-भीम-बापू? |
गंगाधर मुटे |
गुरु, 21/04/2011 - 15:06 |
गझल |
नाही खचायाचे |
केदार पाटणकर |
बुध, 20/04/2011 - 16:24 |
गझल |
तुझ्या हातात माझ्या जिंदगीचा कासरा मी देत आहे |
विजय दि. पाटील |
मंगळ, 19/04/2011 - 15:02 |
गझल |
य़ा जगण्याचे... |
आनंदयात्री |
शुक्र, 15/04/2011 - 20:29 |
गझल |
नामानिराळे |
संतोष कसवणकर |
शुक्र, 15/04/2011 - 14:25 |
गझल |
आराम पहिल्या सारखा |
निशिकांत दे |
गुरु, 14/04/2011 - 09:39 |
गझल |
नवा घाव |
संतोष कसवणकर |
गुरु, 14/04/2011 - 07:25 |
गझल |
एखादा तरी... |
मी अभिजीत |
मंगळ, 12/04/2011 - 16:30 |
गझल |
चिडता का हो ? |
निशिकांत दे |
शुक्र, 08/04/2011 - 22:35 |
गझल |
जखमा जुन्या (गझल ) |
मनिषा नाईक. |
गुरु, 07/04/2011 - 22:50 |
गझल |
छायेलाही त्यांच्या थोडा |
निशिकांत दे |
गुरु, 07/04/2011 - 16:14 |
गझल |
निघाले अर्थ नाही ते तुझ्या वाटेत येण्याचे |
विजय दि. पाटील |
गुरु, 07/04/2011 - 15:04 |
गझल |
मावळाया लागलो |
निशिकांत दे |
बुध, 06/04/2011 - 20:58 |