गझल |
आज भारंभार झाली आसवे !!! |
supriya.jadhav7 |
गुरु, 02/12/2010 - 22:14 |
गझल |
बंडाचा झेंडा कधीच नव्हता हाती! |
क्रान्ति |
गुरु, 02/12/2010 - 15:31 |
गझल |
बघ तुझ्या येण्यामधे हे केवढे मांगल्य आहे |
विजय दि. पाटील |
गुरु, 02/12/2010 - 13:23 |
गझल |
''श्वास झाला मोकळा की,कोंडल्यागत वाटते'' |
कैलास |
बुध, 01/12/2010 - 23:05 |
गझल |
भाष्य |
कुमार जावडेकर |
शनि, 27/11/2010 - 21:55 |
गझल |
तू ..... |
supriya.jadhav7 |
शुक्र, 26/11/2010 - 12:24 |
गझल |
मोडून यार गेला संसार आज माझा .. |
शाम |
बुध, 24/11/2010 - 19:24 |
गझल |
प्रकाश स्वप्ने.. |
बहर |
बुध, 24/11/2010 - 09:49 |
गझल |
बघ कशा संवेदना गातात माझ्या |
मयुरेश साने |
मंगळ, 23/11/2010 - 00:17 |
गझल |
असे बाहेर डोकावू नका आतील दु:खांनो.... |
बेफिकीर |
सोम, 22/11/2010 - 17:18 |
गझल |
अर्थ आहे |
क्रान्ति |
गुरु, 18/11/2010 - 21:25 |
गझल |
सारे वसंत... |
विद्यानंद हाडके |
गुरु, 18/11/2010 - 21:11 |
गझल |
पेटत्या वातीच माळू |
अनिल रत्नाकर |
गुरु, 18/11/2010 - 15:11 |
गझल |
अजूनही |
आनंदयात्री |
बुध, 17/11/2010 - 11:56 |
गझल |
वेड तो लावून गेला (गझल) |
मनिषा नाईक. |
मंगळ, 16/11/2010 - 13:12 |
गझल |
अबोली !!! |
supriya.jadhav7 |
मंगळ, 16/11/2010 - 08:53 |
गझल |
म्हटले होते |
क्रान्ति |
रवि, 14/11/2010 - 20:11 |
गझल |
' कहाणी...'( गझल ) |
mamata.riyaj@gm... |
रवि, 14/11/2010 - 01:34 |
गझल |
पहा दिशाही रुसून बसल्या तुझ्यासारख्या. |
सोनाली जोशी |
बुध, 10/11/2010 - 01:51 |
गझल |
दु:ख सुद्धा माणसे पाहून येते |
मिल्या |
मंगळ, 09/11/2010 - 19:08 |
गझल |
''जीवन अंधारातच आहे'' |
कैलास |
सोम, 08/11/2010 - 21:38 |
गझल |
ना दिवाळी पाहिली या लक्तराने !!! |
supriya.jadhav7 |
बुध, 03/11/2010 - 07:00 |
गझल |
मी एकटीच येथे!!!(गझल). |
supriya.jadhav7 |
सोम, 01/11/2010 - 21:22 |
गझललेख |
शे(अ)रो शायरी, भाग-७ : वो लब कि जैसे सागर-ए-सहबा दिखाई दे |
मानस६ |
रवि, 31/10/2010 - 15:45 |
गझल |
चेहरा दे कोणताही बाटतो का आरसा ? ........... |
मयुरेश साने |
शुक्र, 29/10/2010 - 23:58 |