गझल |
...जमेल तेंव्हा |
जयन्ता५२ |
गझल |
ते पाखरू दिवाणे |
जयन्ता५२ |
गझल |
'जग मल्लीकाचे आहे' - कवी ज्ञानेशची फर्माईश! |
गंभीर समीक्षा |
गझल |
----पुन्हा का---- |
नेहा |
गझल |
अलिप्तता |
ऋत्विक फाटक |
गझल |
नको फिरून बोलणे नकोच आज भेटणे |
सोनाली जोशी |
गझल |
सुखास आता तुझे नाव आहे |
जयन्ता५२ |
पृष्ठ |
शांत मी राहू कशी |
विश्वस्त |
गझल |
...स्मरशील तू ! |
प्रदीप कुलकर्णी |
गझल |
मदार |
पुलस्ति |
गझल |
असाच विस्कळीत मी |
भूषण कटककर |
गझल |
पक्षी येती झाड बहरता , वठल्यावरती कुणी न दिसते |
सोनाली जोशी |
गझल |
बहुधा |
क्रान्ति |
गझल |
मंत्र |
प्रशान्त वेलापुरे |
गझल |
खुशाली |
क्रान्ति |
गझल |
उमेद |
काव्यरसिक |
गझल |
आयुष्य |
आरती सुदाम कदम |
गझल |
मला येत नाही |
सलिल |
गझल |
[सुरेशभट] चाचणी |
विश्वस्त |
गझल |
अंगार |
काव्यरसिक |
गझल |
काय सुनसान पोकळी आहे |
बेफिकीर |
गझल |
एवढे फिरून.. |
ज्ञानेश. |
पृष्ठ |
भटसाहेब १ |
विश्वस्त |
गझल |
कधी करावी सकाळ |
बेफिकीर |
गझल |
मंजूर नाही |
क्रान्ति |