गझल |
खोटे असते हळहळणे |
अजय अनंत जोशी |
गझलचर्चा |
सलील कुलकर्णीचे शब्दांवरचे लक्ष |
केदार पाटणकर |
कार्यक्रम |
काव्यरसिक मंडळ (डोंबिवली) ४४वे वार्षिक स्नेहसंमेलन, रविवार दि. १४ फेब्रुवारी २०१० |
जयन्ता५२ |
गझल |
खेळणे |
बेफिकीर |
गझल |
व्यथा |
आरती सुदाम कदम |
गझल |
नको आणखी |
जयश्री अंबासकर |
गझल |
पक्षी |
बेफिकीर |
गझल |
देवास ज्ञात आहे (अल्लाह जानता है) |
कुमार जावडेकर |
गझल |
होकार |
आनंदयात्री |
गझल |
आता |
अनिल रत्नाकर |
गझल |
आपला फासा न यावा आपल्यावर... |
अजय अनंत जोशी |
गझल |
मोगरा |
अजय अनंत जोशी |
गझल |
मागील ठरे शहाणा,पुढच्यास ठेच आहे. |
कैलास |
गझल |
कल्लोळ |
मिल्या |
गझल |
अनोळखी होऊन जगावे.... |
जनार्दन केशव म्... |
गझल |
चालला शब्दांतुनी... |
अजय अनंत जोशी |
गझल |
पादुका |
मिल्या |
गझल |
धोका |
क्रान्ति |
गझल |
कसे सांगायचे |
अनिल रत्नाकर |
गझल |
माझ्या कुशीत... |
प्रदीप कुलकर्णी |
गझलचर्चा |
वृत्ताची निवड |
केदार पाटणकर |
गझलचर्चा |
चर्चाप्रस्ताव - अनुकरण की प्रभाव की उत्स्फुर्तता? |
बेफिकीर |
गझल |
मी मोरपीस व्हावे - |
विदेश |
गझल |
बाजार |
आनंदयात्री |
गझल |
कर्ज |
क्रान्ति |