गझल |
कर्जमाफीच्या आमिशावर अशी माजली शेते |
कैलास गांधी |
गझल |
दिसू लागले स्पष्ट जेवढे |
चित्तरंजन भट |
गझल |
गझलेत काय सांगू? |
बहर |
गझल |
श्वास |
प्रसाद लिमये |
गझल |
धीट माझी प्रीत होती |
सोनाली जोशी |
गझल |
'' तीळ '' |
कैलास |
गझल |
लोचट आशा, नेक निराशा, एक उसासा जीवन |
बेफिकीर |
गझल |
गुपित |
आभाळ |
गझल |
तरी समुद्रा तुझ्या किनारी |
बेफिकीर |
गझल |
एक उदासी खोलीभर.. |
ज्ञानेश. |
गझल |
प्रश्न हा फिजूल आहे शब्द हे बेचव कसे... |
कैलास गांधी |
गझल |
पेटले सोयी प्रमाणे आणि नंतर गार झाले... |
कैलास गांधी |
गझल |
सौदा |
आनंदयात्री |
गझल |
ती इतकी करारी वाटते |
निलेश कालुवाला |
गझल |
'' बरे दिसत नाही '' |
कैलास |
गझल |
का हवी असतात तेव्हा नेमकी रुसतात नाती? |
बेफिकीर |
गझल |
जुने पेच ते..... |
बहर |
गझल |
मारला गेलो |
कैलास |
गझल |
तुझ्या आठवांना उजाळाच देतो... |
बहर |
गझल |
बंद दिवसाच्या घराचे दार ... |
वैभव देशमुख |
गझल |
तरी हुंदक्यांना गिळावे किती? |
गंगाधर मुटे |
गझल |
जुने, विसरून गेलेले... |
ज्ञानेश. |
गझल |
तुकारामा उगा तू काढली पाण्यातुनी गाथा |
ह बा |
गझल |
वाहलो मी |
अनिल रत्नाकर |
गझल |
कशी अंकुरावीत आता बियाणे? |
गंगाधर मुटे |