गझल |
हे खेळ संचिताचे .....! |
गंगाधर मुटे |
गझल |
जरासा त्रास होतो |
ह्रषिकेश चुरी |
गझल |
कविता जुळून आली.. |
बहर |
गझल |
जाहिरात - अभिषेक उदावंत |
अभिषेक उदावंत |
गझल |
भांडेल कोण आता? |
विजय दि. पाटील |
गझल |
नशेत होतो मी ! |
मानस६ |
गझल |
आवाज आसवांचा |
आदित्य_देवधर |
गझल |
'' प्रश्न'' |
कैलास |
गझल |
जगून घे |
आदित्य_देवधर |
गझल |
निराशा |
आदित्य_देवधर |
गझल |
धान्य हा तर दारूसाठी माल कच्चा.. |
कैलास गांधी |
गझल |
कोणत्या चिमटीत मी त्याला धरू |
चित्तरंजन भट |
गझल |
वाटे कधी कधी |
कैलास |
गझल |
'' धर्म '' |
कैलास |
गझल |
जशा कैक होत्या व्यथा गोंदलेल्या |
श्यामली |
गझल |
नास्तिक...! |
काव्यरसिक |
गझल |
स्मशानात जागा हवी तेवढी |
गंगाधर मुटे |
गझल |
बंडखोरी |
क्रान्ति |
गझल |
कैफ त्या डोळ्यातला... |
बहर |
गझल |
बदललास तू सहजच रस्ता आता तो सवयीचा झाला |
कैलास गांधी |
गझल |
ठेवणीतल्या आठवणींना.... |
प्रदीप कुलकर्णी |
गझल |
जीवना माझ्या बरोबर चालतांना |
स्नेहदर्शन |
गझल |
सूर्य माझ्या मागुनी येणार होता |
कैलास गांधी |
गझल |
ठेच |
योगेश वैद्य |
गझल |
जाळीत फक्त जगणे |
अवधुत |