गझल |
का....?(गझल) |
mamata.riyaj@gm... |
गझल |
सांत्वन...( गझल ) |
mamata.riyaj@gm... |
गझल |
ते सिंह गर्जनेला कोल्हे कुई म्हणाले................... |
मयुरेश साने |
गझल |
देत जा... |
कमलाकर देसले |
गझल |
भेटतो जरी अता नेहमी हसून पण |
शाम |
गझल |
शेवटाला चार नाही(त) !!! |
supriya.jadhav7 |
गझल |
की ? कागदाशी खेळणारा टाक आहे ? |
मयुरेश साने |
गझल |
अजून श्वास पाळती ! तुझ्या खुणा पुन्हा पुन्हा...... |
मयुरेश साने |
गझल |
सांजवेळी आठवांचा मेघ हा दाटे पुन्हा.. |
शाम |
गझल |
आवेग दाटलेला !!! |
supriya.jadhav7 |
गझल |
... वंशातल्यांचे |
अजय अनंत जोशी |
गझल |
हिशेबाची माय मेली? |
गंगाधर मुटे |
गझल |
देवुनी तुझे तुला निघायचे मला.. |
शाम |
गझल |
मनाला किती अन् कसे आवरावे? |
शाम |
गझल |
उठ बा रे पांडुरंगा.. |
शाम |
गझल |
सवे या.. |
केदार पाटणकर |
पृष्ठ |
बातचीत भटांशी |
निनावी (not verified) |
गझल |
भरावे शेत वात्सल्यात... |
अजय अनंत जोशी |
गझल |
इतकी सुंदर ढाल? |
ह बा |
गझल |
~ शामकांती सांजवेळी ~ |
Ramesh Thombre |
गझल |
वाढती का अंतरे? |
क्रान्ति |
गझल |
... भांडू नकोस राणी |
अजय अनंत जोशी |
गझल |
... या नभी अंधारवेना |
अजय अनंत जोशी |
गझल |
अवेळी अशा.. |
ज्ञानेश. |
गझल |
वंचना |
आसावरी |