गझल |
जन्म वाभरा |
वैभव वसंतराव कु... |
रवि, 15/02/2015 - 21:40 |
गझल |
मनाच्या अडगळीमधले बिलोरी आरसे शोधू |
जयदीप |
शुक्र, 06/02/2015 - 10:57 |
गझल |
मागे जयजयकार चालला आहे |
बाळ पाटील |
शनि, 24/01/2015 - 11:25 |
गझल |
आवरण |
ज्ञानेश. |
बुध, 31/12/2014 - 20:06 |
गझल |
झोप लागायला पाहिजे |
जयदीप |
मंगळ, 23/12/2014 - 15:22 |
गझल |
काय देईल गारवा रस्ता |
बेफिकीर |
शुक्र, 12/12/2014 - 21:17 |
गझल |
मन आता हे कळल्यावरती उदास नाही.. |
जयदीप |
गुरु, 27/11/2014 - 10:09 |
गझल |
हासल्यासारखी भासती माणसे |
बेफिकीर |
बुध, 19/11/2014 - 22:15 |
गझल |
गझल : ज्यामुळे जग ही नशीली रम्यता राखून आहे |
वैभव वसंतराव कु... |
मंगळ, 18/11/2014 - 21:38 |
गझल |
गझल : माझ्या लक्षातच नाही |
वैभव वसंतराव कु... |
मंगळ, 18/11/2014 - 21:36 |
गझल |
संगमावरी दोन्ही प्रवाह तुंबळ लढणे |
बेफिकीर |
मंगळ, 11/11/2014 - 15:15 |
गझल |
मधेच वाहते मधेच थांबते |
जयदीप |
सोम, 10/11/2014 - 12:21 |
गझल |
स्त्री समीप येते ... |
अजय अनंत जोशी |
रवि, 09/11/2014 - 18:55 |
गझल |
सांग कसे ते कण्हतानाही गात असावे... |
जयदीप |
मंगळ, 04/11/2014 - 16:21 |
गझल |
नको तसे घडण्यावरती ह्यासाठी मन जडले होते |
बेफिकीर |
गुरु, 30/10/2014 - 22:58 |
गझल |
वरून शांत शांत वाटते किती... |
जयदीप |
गुरु, 09/10/2014 - 10:49 |
गझल |
तुझी आभाळपुण्याई तुकोबा |
वैभव वसंतराव कु... |
बुध, 08/10/2014 - 15:26 |
गझल |
हा स्वत्वाचा तपास मानू आता |
बेफिकीर |
बुध, 08/10/2014 - 01:04 |
गझल |
अमल |
विजय दि. पाटील |
गुरु, 02/10/2014 - 20:03 |
गझल |
खोल डोहाच्या तळाशी साचलेला गाळ हो |
बेफिकीर |
बुध, 01/10/2014 - 22:34 |
गझल |
नदीला सागराची ओढ असली तर असू द्या ना |
मिल्या |
सोम, 29/09/2014 - 14:46 |
गझल |
एकदा शून्यास माझ्या तू वजा कर... |
जयदीप |
सोम, 22/09/2014 - 17:41 |
गझल |
इरेला पेटला आहे पिसारा |
अजय अनंत जोशी |
गुरु, 18/09/2014 - 21:37 |
गझल |
खुल्या मनाने |
केदार पाटणकर |
गुरु, 18/09/2014 - 15:41 |
गझल |
नेहमी गर्दी तुला जी लागते |
जयदीप |
मंगळ, 09/09/2014 - 09:26 |