तुझे स्वच्छ हासू झळाळी उन्हाची... |
वैभव देशमुख |
5 August 2014 |
जन्मतो गर्दीत आपण......संपतो गर्दीत पण |
बेफिकीर |
22 August 2014 |
कशाचा शोध काही घेत नसतो |
चित्तरंजन भट |
17 June 2014 |
आई मेंढ्या हाकत आहे, बाप दिवंगत आहे |
बेफिकीर |
11 June 2014 |
माझ्यातला चांगुलपणा वर आण तू |
बेफिकीर |
17 June 2014 |
...शांत समईसारखा ! |
प्रदीप कुलकर्णी |
18 June 2008 |
नीट वाच...! |
प्रदीप कुलकर्णी |
15 April 2014 |
तुझे आच्छादलेले जग मला सांगून जाते |
बेफिकीर |
7 July 2014 |
ज्या क्षणी मी थांबलो, ती थांबली |
जयदीप |
22 August 2014 |
गझल |
अनंत ढवळे |
11 June 2014 |
तुझ्यासारखे वाचता येत नाही |
जयदीप |
21 August 2014 |
जे जगतो ते लिहिणारा |
विजय दि. पाटील |
14 August 2014 |
तीच भेटावी.. |
केदार पाटणकर |
1 August 2014 |
किती? |
केदार पाटणकर |
26 March 2014 |
मढे मोजण्याला |
गंगाधर मुटे |
28 July 2014 |
पिणे सोडले मी…. |
अरविन्द पोहरकर |
7 July 2014 |
जन्म एक मध्यरात्र वाटतो |
वैभव वसंतराव कु... |
21 July 2014 |
काही नवीन सुट्टे शेरः |
बेफिकीर |
2 June 2014 |
गलबत कुठे निघाले |
केदार पाटणकर |
22 July 2014 |
लेक माझी चालली… |
अरविन्द पोहरकर |
29 July 2014 |
फिरून यायचे इथे टळेल का कधी? |
मिल्या |
16 August 2011 |
लागला गळपफास तेव्हा तरतरी श्वासात आली! |
सतीश देवपूरकर |
23 July 2012 |
माणसांना माणसांचे |
केदार पाटणकर |
16 July 2014 |
खरा कायदयाने मला फास होता |
मयुरेश साने |
22 January 2011 |
''वाटत आहे'' |
कैलास |
25 March 2011 |