वाहते चुपचाप आहे खोल पाणी |
चित्तरंजन भट |
13 May 2015 |
मला सांभाळले आहे.. |
ज्ञानेश. |
7 August 2011 |
...देव आहे अंतरी |
अजय अनंत जोशी |
30 April 2015 |
जन्म वाभरा |
वैभव वसंतराव कु... |
15 February 2015 |
आवरण |
ज्ञानेश. |
31 December 2014 |
हासल्यासारखी भासती माणसे |
बेफिकीर |
19 November 2014 |
मनाच्या अडगळीमधले बिलोरी आरसे शोधू |
जयदीप |
6 February 2015 |
झोप लागायला पाहिजे |
जयदीप |
23 December 2014 |
मागे जयजयकार चालला आहे |
बाळ पाटील |
24 January 2015 |
काय देईल गारवा रस्ता |
बेफिकीर |
12 December 2014 |
नको तसे घडण्यावरती ह्यासाठी मन जडले होते |
बेफिकीर |
30 October 2014 |
एक पाखरु फांदीवर... |
वैभव देशमुख |
4 February 2011 |
मन आता हे कळल्यावरती उदास नाही.. |
जयदीप |
27 November 2014 |
मधेच वाहते मधेच थांबते |
जयदीप |
10 November 2014 |
गझल : ज्यामुळे जग ही नशीली रम्यता राखून आहे |
वैभव वसंतराव कु... |
18 November 2014 |
गझल : माझ्या लक्षातच नाही |
वैभव वसंतराव कु... |
18 November 2014 |
संगमावरी दोन्ही प्रवाह तुंबळ लढणे |
बेफिकीर |
11 November 2014 |
अमल |
विजय दि. पाटील |
2 October 2014 |
सांग कसे ते कण्हतानाही गात असावे... |
जयदीप |
4 November 2014 |
स्त्री समीप येते ... |
अजय अनंत जोशी |
9 November 2014 |
तुझी आभाळपुण्याई तुकोबा |
वैभव वसंतराव कु... |
8 October 2014 |
वरून शांत शांत वाटते किती... |
जयदीप |
9 October 2014 |
मी काही स्वप्नांच्या नुसता सोबत बसतो |
प्रसाद लिमये |
8 January 2014 |
हसवणारे, खिदळणारे |
केदार पाटणकर |
6 September 2014 |
हा स्वत्वाचा तपास मानू आता |
बेफिकीर |
8 October 2014 |