गझल |
कुठून जायचे पुढे |
अजय अनंत जोशी |
गझल |
कुठे तरी काही तरी जळत होते ..... |
खलिश |
गझल |
कुठे नेतील या वाटा मनाला.... |
अनंत ढवळे |
गझल |
कुठे भास होतो तुझ्या कंकणांचा.. |
ज्ञानेश. |
गझल |
कुठे म्हणालो परी असावी |
प्रणव सदाशिव काळे |
गझल |
कुठे म्हणालो?... (अजब) |
अजब |
गझल |
कुठे लुप्त झाले फुले-भीम-बापू? |
गंगाधर मुटे |
गझल |
कुठे? |
भूषण कटककर |
गझल |
कुठेच आता सवाल नाही |
संतोष बडगुजर |
गझल |
कुणाकुणाला जरी समजला, मला परंतू कळला नाही... |
सोनाली जोशी |
गझल |
कुणाकुणाला मार हवा |
अजय अनंत जोशी |
गझल |
कुणाकुणावर अजूनही तो प्रभाव होता |
अजय अनंत जोशी |
गझल |
कुणाशी बोलता आहात याची कल्पना आहे? |
बेफिकीर |
गझल |
कुणी इथे |
ह्रषिकेश चुरी |
गझल |
कुणी न समजुन घेतला... |
जनार्दन केशव म्... |
गझल |
कुणी माझ्यासवे यावे |
अजय अनंत जोशी |
गझल |
कुणीच नव्हते आले निरोप देण्यासाठी ... |
अनंत ढवळे |
गझल |
कुपी |
आनंदयात्री |
गझल |
कुर्निसात |
केदार पाटणकर |
पृष्ठ |
केला खरेपणाचा नाही विचार त्यांनी |
विश्वस्त |
पृष्ठ |
केले जुलूम .... |
सदानंद डबीर |
गझल |
केवढी आग लागली होती |
अनंत ढवळे |
गझल |
केवढे चालणे हे मजल दरमजल..... |
बेफिकीर |
गझल |
केवढे छान दिवस होते ते |
बेफिकीर |
गझल |
केवळ तुझी होऊन झंकारायचे |
सोनाली जोशी |