गझल |
आज ही वेदना दार ठोठावते..... |
खलिश |
गझल |
ह्या मनाचे, दुश्मनाचे काय करावे ?.... |
खलिश |
गझल |
हवे मधे किती छान गारवा होता..... |
खलिश |
गझल |
गझल : मी तुझ्या प्रेमात आहे, तू मला ही प्रेम कर...... |
खलिश |
गझल |
गझल : रात्र सारी चांदण्याने दु:खः माझे पाहिले - पु नः संपादित |
खलिश |
गझल |
फुलांना दंश काट्यांचे हवे होते..... |
खलिश |
गझल |
चांदणे प्रेमातले.... |
ग. वि. मिटके |
गझल |
सोकावलेल्या अंधाराला इशारा |
गंगाधर मुटे |
गझल |
हे खेळ संचिताचे .....! |
गंगाधर मुटे |
गझल |
पांढरा किडा |
गंगाधर मुटे |
गझल |
घट अमृताचा |
गंगाधर मुटे |
गझल |
गोचिडांची मौजमस्ती |
गंगाधर मुटे |
गझल |
घुटमळते मन अधांतरी |
गंगाधर मुटे |
गझल |
अस्तित्व दान केले |
गंगाधर मुटे |
गझल |
मढे मोजण्याला |
गंगाधर मुटे |
गझल |
आभास मीलनाचा.. |
गंगाधर मुटे |
गझल |
तरी हुंदक्यांना गिळावे किती? |
गंगाधर मुटे |
गझल |
अंगार चित्तवेधी |
गंगाधर मुटे |
गझल |
मरण्यात अर्थ नाही |
गंगाधर मुटे |
गझल |
ती स्वप्नसुंदरी |
गंगाधर मुटे |
गझल |
प्राक्तन फ़िदाच झाले |
गंगाधर मुटे |
गझल |
हिशेबाची माय मेली? |
गंगाधर मुटे |
गझल |
कुंडलीने घात केला |
गंगाधर मुटे |
गझल |
कशी अंकुरावीत आता बियाणे? |
गंगाधर मुटे |
गझल |
कुठे लुप्त झाले फुले-भीम-बापू? |
गंगाधर मुटे |