गझल |
चुंबने घेउनी जे तुला बोचले.... |
खलिश |
गझल |
मी फुलांची मूक भाषा जाणतो..... |
खलिश |
गझल |
बहरली मनाची कधी बाग साधी ? |
खलिश |
गझल |
मला माझ्या गुन्ह्याची फार मोठी स ज़ा झाली .... |
खलिश |
गझल |
ग झ ल : रात्र थोडी गार होती ..... |
खलिश |
गझल |
ग झ ल : मला का तो वियोगाची व्यथा देतो ? |
खलिश |
गझल |
चांदणे प्रेमातले.... |
ग. वि. मिटके |
गझल |
नव्या यमांची नवीन भाषा |
गंगाधर मुटे |
गझल |
कविता म्हणू प्रियेला.. |
गंगाधर मुटे |
गझल |
भक्तीविभोर....!! |
गंगाधर मुटे |
गझल |
स्मशानात जागा हवी तेवढी |
गंगाधर मुटे |
गझल |
बत्तीस तारखेला |
गंगाधर मुटे |
गझल |
पराक्रमी असा मी |
गंगाधर मुटे |
गझल |
सत्ते तुझ्या चवीने |
गंगाधर मुटे |
गझल |
सोकावलेल्या अंधाराला इशारा |
गंगाधर मुटे |
गझल |
पांढरा किडा |
गंगाधर मुटे |
गझल |
हे खेळ संचिताचे .....! |
गंगाधर मुटे |
गझल |
मढे मोजण्याला |
गंगाधर मुटे |
गझल |
अस्तित्व दान केले |
गंगाधर मुटे |
गझल |
घट अमृताचा |
गंगाधर मुटे |
गझल |
गोचिडांची मौजमस्ती |
गंगाधर मुटे |
गझल |
घुटमळते मन अधांतरी |
गंगाधर मुटे |
गझल |
तरी हुंदक्यांना गिळावे किती? |
गंगाधर मुटे |
गझल |
आभास मीलनाचा.. |
गंगाधर मुटे |
गझल |
मरण्यात अर्थ नाही |
गंगाधर मुटे |