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वेश्या बरी |
भूषण कटककर |
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मैफिल |
प्रसाद पांडे |
गझल |
जेव्हा मेघ दाटुन येते... |
गौतम.रा.खंडागळे |
गझलचर्चा |
जोडाक्षराच्या पुढील मागील शब्दाचे लघु गुरु कसे असतात ? |
स्वप्ना |
गझल |
बनेल तारे.. |
बहर |
गझललेख |
मीर तकी मीर ची एक गझल व त्याचे मराठी भाषांतर |
हेमंत पुणेकर |
गझल |
अजिंक्य! |
निलेश |
गझल |
साभार परत.. |
काव्यरसिक |
गझल |
श्रीमंत प्रेयसी |
भूषण कटककर |
गझल |
मैफील आज जमली - |
विदेश |
पृष्ठ |
कर्नाटकी सत्तासोस |
अविनाश ओगले |
पृष्ठ |
मी तोच व्यास आहे ... |
रितेश भोईटे |
गझल |
गर्दी... |
अजब |
गझल |
सांगू कसे...?(गझल) |
mamata.riyaj@gm... |
गझल |
तू परतून यावे |
अजय अनंत जोशी |
गझल |
ही गझल आणि एक सांगाडा |
भूषण कटककर |
गझल |
माझे प्रेम |
rupali joshi |
गझल |
आपले नाते |
बेफिकीर |
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गझल |
माधव भा॑गे |
पृष्ठ |
गझल |
विश्वस्त |
गझल |
संवेदनशिल विषयांना बाजार बनविले जाते |
शुभानन चिंचकर |
गझल |
हवे हवे ते घडतच नाही, घडू नये ते घडून गेले |
मयुरेश साने |
गझललेख |
गालिब बेनकाब |
बेफिकीर |
गझल |
मावळाया लागलो |
निशिकांत दे |
कार्यक्रम |
सस्नेह आमंत्रण - गझल सहयोगचा मुशायरा - हे गाव आपल्यांचे |
बेफिकीर |