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पुन्हा पुन्हा |
विश्वस्त |
गझल |
तमा |
निलय |
गझल |
मधाळ हाय-बायचे काय करावे... |
गिरीश कुलकर्णी |
गझल |
मी कधी माझ्यात ही असणार नाही |
स्नेहदर्शन |
गझल |
शंकर रामाणींची गझल |
जयन्ता५२ |
गझल |
सांगू कसे...?(गझल) |
mamata.riyaj@gm... |
गझल |
दे |
साकार |
गझल |
...अंदाज आगळा आहे! |
मधुघट |
गझल |
माझ्या मनासी कळेना |
हरीश दांगट |
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मी.. माझ्यातला... |
मधुघट |
गझल |
...का असे? |
जयन्ता५२ |
गझलचर्चा |
वेचक छंदविचार |
विश्वस्त |
गझल |
छायेलाही त्यांच्या थोडा |
निशिकांत दे |
गझल |
माझे कसे म्हणावे.... |
स्वामीजी |
गझल |
.....बरे दिसत नाही...! |
प्रदीप कुलकर्णी |
गझल |
जेव्हा मेघ दाटुन येते... |
गौतम.रा.खंडागळे |
गझल |
वस्ती..! |
विसोबा खेचर |
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(गझल) |
केशवसुमार |
गझल |
' कहाणी...'( गझल ) |
mamata.riyaj@gm... |
गझल |
नांवही आता नुरे |
भूषण कटककर |
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भटसाहेब २ |
विश्वस्त |
गझल |
वादात या कुणीही सहसा पडू नये ! |
मयुरेश साने |
गझल |
लाजरा बराच मी निलाजरा जरा जरा |
मयुरेश साने |
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दिवाळीच्या हार्दिक शुभेच्छा...!!! |
प्रदीप कुलकर्णी |
गझल |
सरहदी का शोधती मग झुंजण्याची कारणे? (तरही) |
supriya.jadhav7 |