गझल |
खंत |
विसुनाना |
गझल |
खरा कायदयाने मला फास होता |
मयुरेश साने |
गझललेख |
खरे तर दार वा-याने... |
केदार पाटणकर |
पृष्ठ |
खरे ना? |
विसुनाना |
पृष्ठ |
खरे सांगतो |
विश्वस्त |
गझल |
खरेच राणी... |
जनार्दन केशव म्... |
गझल |
खर्डेघाशी |
चक्रपाणि |
गझल |
खलाशी |
बेफिकीर |
गझल |
खानाबदोष |
भूषण कटककर |
गझल |
खिन्न शेते... |
अनंत ढवळे |
गझल |
खुल्या मनाने |
केदार पाटणकर |
गझल |
खुळा साज आहे.. |
बहर |
गझल |
खुशाली |
क्रान्ति |
गझल |
खुशाली |
आनंदयात्री |
गझल |
खून केले... |
निरज कुलकर्णी |
गझल |
खूप झाले, हे व्यथांना रोजचे.... |
जनार्दन केशव म्... |
गझल |
खूप बोलू लागला अंधार नंतर |
चित्तरंजन भट |
गझल |
खूप वाकडा गेला |
बाण |
गझल |
खेळ |
गणेशप्रसाद |
गझल |
खेळ |
अजय अनंत जोशी |
गझल |
खेळ ! |
प्रदीप कुलकर्णी |
गझल |
खेळणे |
बेफिकीर |
गझल |
खोटे असते हळहळणे |
अजय अनंत जोशी |
गझल |
खोल डोहाच्या तळाशी साचलेला गाळ हो |
बेफिकीर |
गझल |
ग झ ल : रात्र थोडी गार होती ..... |
खलिश |