गझल |
तो क्षण |
प्रल्हाद देशपान्डे |
गझल |
देवुनी तुझे तुला निघायचे मला.. |
शाम |
गझल |
डोळे जेव्हा भिडले होते |
मधुरा |
गझल |
सोपे नसते |
सतीश |
गझल |
जिथे मी पोचलो तेथे तुझे माहेर होते |
बेफिकीर |
गझल |
रजनीगंधा |
सुनेत्रा सुभाष |
गझल |
हळू हळू 'बेफिकीर' होण्यातली मजाही बरीच आहे |
बेफिकीर |
गझल |
काटाकाटी श्वासांचीही.. |
संतोष कुलकर्णी |
गझल |
तरी हुंदक्यांना गिळावे किती? |
गंगाधर मुटे |
गझल |
दिशा पहाटल्यात |
भूषण कटककर |
गझल |
वनवास : डॉ.श्रीकृष्ण राऊत |
डॉ. श्रीकृष्ण राऊत |
गझल |
एकटाच मी ! |
प्रदीप कुलकर्णी |
गझल |
पापणी अद्याप माझी... |
केदार पाटणकर |
गझल |
गलबत कुठे निघाले |
केदार पाटणकर |
गझल |
जाग |
क्रान्ति |
गझल |
उदास खाली मनास घेऊन फिरतो आम्ही ... |
अमोल शिरसाट |
गझल |
अनुभव |
जयदीप |
गझल |
किती आळशी |
सुनेत्रा सुभाष |
गझल |
ऐकत नाही आता हे मन... |
मधुघट |
गझल |
जगणे म्हणजे अवघड चळवळ |
श्रीकांत वाघ |
गझल |
''जमले'' |
कैलास |
गझल |
जगून काय साधले |
वैभव जोशी |
गझल |
बुद्ध बाटला आहे |
बेफिकीर |
गझल |
... राहिलो मी |
अजय अनंत जोशी |
गझल |
क्षण एक पुरे जगण्यास खरा |
मयुरेश साने |