गझल |
पापणी अद्याप माझी... |
केदार पाटणकर |
गझल |
गलबत कुठे निघाले |
केदार पाटणकर |
गझल |
जाग |
क्रान्ति |
गझल |
जगणे असते... (अजब) |
अजब |
गझल |
उदास खाली मनास घेऊन फिरतो आम्ही ... |
अमोल शिरसाट |
गझल |
लाव्हा |
मधुघट |
गझल |
अनुभव |
जयदीप |
गझल |
किती आळशी |
सुनेत्रा सुभाष |
गझल |
ऐकत नाही आता हे मन... |
मधुघट |
गझल |
''जमले'' |
कैलास |
गझल |
जगून काय साधले |
वैभव जोशी |
गझल |
बुद्ध बाटला आहे |
बेफिकीर |
गझल |
क्षण एक पुरे जगण्यास खरा |
मयुरेश साने |
गझल |
भळभळतांना जाणवले की.. |
ज्ञानेश. |
गझल |
आभास मीलनाचा.. |
गंगाधर मुटे |
गझल |
चेहरा दे कोणताही बाटतो का आरसा ? ........... |
मयुरेश साने |
गझल |
तसे नसेलही ! |
प्रदीप कुलकर्णी |
गझल |
कर्ज |
क्रान्ति |
गझल |
'गालिब'च्या गजलेचा भावानुवाद |
अजब |
गझल |
शहारा |
मयुरेश साने |
गझल |
तुझी आठवण |
रुपेश देशमुख |
गझल |
नको फिरून बोलणे नकोच आज भेटणे |
सोनाली जोशी |
गझल |
चांदण्या लेऊन झाला... |
ह बा |
गझल |
'गोष्टी ' |
ज्ञानेश. |
गझल |
हे सुगंधाचे निघाले काफिले! |
मानस६ |