गझल |
निरर्थक... |
अजय अनंत जोशी |
गझल |
गोचिडांची मौजमस्ती |
गंगाधर मुटे |
गझल |
''जीवन अंधारातच आहे'' |
कैलास |
गझल |
ग झ ल : ७ (अ) : दुरूस्त आणी पुनः संपादित : मला तो का वियोगाची व्यथा देतो ? |
खलिश |
गझल |
आस जागी.. |
चांदणी लाड. |
गझल |
माझा मुलगा |
स्नेहदर्शन |
गझल |
गुलाबपाणी |
गौतमी |
गझल |
अजिंक्य! |
निलेश |
गझल |
जाहिरात - अभिषेक उदावंत |
अभिषेक उदावंत |
गझल |
थाबं ! |
श्रीकान्त |
गझल |
लोक |
संतोष कुलकर्णी |
गझल |
सांगती खोटे जरी |
rind |
गझल |
मी मोकळा |
अलखनिरंजन |
गझल |
लाथाडती सारे मला |
अनिल रत्नाकर |
गझल |
लिहायचे ते लिहून टाकू |
बेफिकीर |
गझल |
पुन्हा सत्य स्वप्नांस तुडवून गेले |
गिरीश कुलकर्णी |
गझल |
मला सांभाळले आहे.. |
ज्ञानेश. |
गझल |
हात द्या, मात द्या ... |
अजय अनंत जोशी |
गझल |
कुठलेच स्वप्न आता - डी. एन. गांगण |
मीर क्षीरसागर |
गझल |
काल ज्या क्षणी तुला मी पाहिले प्रिये |
कैलास |
गझल |
माझ्यातला चांगुलपणा वर आण तू |
बेफिकीर |
गझल |
चैन |
अनिरुद्ध अभ्यंकर |
गझल |
फार आता फार झाले |
जयन्ता५२ |
गझल |
ना मिळे |
अनिल रत्नाकर |
गझल |
विचारू नका रे |
भूषण कटककर |