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नभी चान्दण्यांची जरी आरास आहे |
किरण पाटिल |
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''आसुसलेले झाड मी'' |
किशोर |
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टिळा (हझल) |
कुमार जावडेकर |
गझल |
आत्मसात |
कुमार जावडेकर |
गझल |
ना उन्हाळा भोगला मी फारसा |
कुमार जावडेकर |
गझल |
भाष्य |
कुमार जावडेकर |
गझल |
सोपे नसते |
कुमार जावडेकर |
गझल |
पोचुनी दारी तुझ्या |
कुमार जावडेकर |
गझल |
देवास ज्ञात आहे (अल्लाह जानता है) |
कुमार जावडेकर |
गझल |
नियम |
कुमार जावडेकर |
गझल |
कदाचित |
कुमार जावडेकर |
गझल |
नूर |
कुमार जावडेकर |
गझलचर्चा |
वृत्ताची निवड |
केदार पाटणकर |
गझल |
पाहुनी तुला |
केदार पाटणकर |
गझल |
माझ्या मनात थोडे... |
केदार पाटणकर |
गझल |
हा जुगार |
केदार पाटणकर |
गझल |
हसवणारे, खिदळणारे |
केदार पाटणकर |
गझल |
पहा, शांत झाला.. |
केदार पाटणकर |
गझल |
पाहिजे तेव्हा कुणीही... |
केदार पाटणकर |
गझल |
एक होऊ या क्षणी |
केदार पाटणकर |
गझललेख |
ज्योत छोटीशी जरी.. रसग्रहण |
केदार पाटणकर |
गझल |
माणसांना माणसांचे |
केदार पाटणकर |
गझलचर्चा |
महिला गझलकारांची संख्या |
केदार पाटणकर |
गझललेख |
खरे तर दार वा-याने... |
केदार पाटणकर |
गझल |
हे तेच ते दिनरात.. |
केदार पाटणकर |