गझल |
आहे उसंत कोठे |
अनिरुद्ध अभ्यंकर |
गझल |
म्हणालो त्यातले काहीच मी करणार नाही |
विजय दि. पाटील |
गझल |
सुकावे लागले |
क्रान्ति |
गझल |
मागचे जाती पुढे |
अजय अनंत जोशी |
गझल |
भीती |
अनिल रत्नाकर |
गझल |
मनात काही |
जयन्ता५२ |
गझल |
रांगले होते |
अनिल रत्नाकर |
पृष्ठ |
शेवटी महत्वाचे |
निनावी (not verified) |
गझल |
गलितगात्र |
कैलास |
गझल |
हरवलाच रुखवती उखाण्याचा गोडवा |
ह बा |
गझल |
एकदा तरी |
मिल्या |
गझल |
गारगोट्या |
विसुनाना |
गझल |
श्वास |
प्रसाद लिमये |
गझल |
यातना........ |
अमित वाघ |
गझल |
समर्थ |
क्रान्ति |
गझल |
वाटले सरली प्रतिक्षा... |
अजय अनंत जोशी |
गझल |
पाहिले चालून त्याच्या सोबतीने |
बेफिकीर |
गझल |
कसे सांगायचे |
अनिल रत्नाकर |
गझल |
कळले नाही |
क्रान्ति |
गझल |
ही तुझी माझीच आहे गोष्ट पण |
अनिरुद्ध अभ्यंकर |
गझल |
छल्ला |
बेफिकीर |
गझललेख |
शे(अ)रो-शायरी, भाग-९ : टूटी है मेरी नींद मगर तुमको इससे क्या |
मानस६ |
गझल |
मनात येता विचार त्याचा उदास होते हसले तरी |
सोनाली जोशी |
गझल |
माझा खून |
भूषण कटककर |
गझल |
हे तेवढे बरे झाले |
श्यामली |