गझल |
रे जीवना... |
निलेश |
गझल |
मागे जयजयकार चालला आहे |
बाळ पाटील |
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कविता सादर करताना कविवर्य सुरेश भट. सोबतीस सुरेशकुमार वैराळकर. |
विश्वस्त |
गझल |
हे जीवना तुझी टपरी चालते मला |
बेफिकीर |
गझल |
ह्याहून मोठे अक्रीत काही घडणार नाही |
विजय दि. पाटील |
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सुरेश-१ |
विश्वस्त |
गझल |
मला माझ्या गुन्ह्याची फार मोठी स ज़ा झाली .... |
खलिश |
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माझा भाऊ सुरेश १ |
विश्वस्त |
गझल |
तो क्षण |
प्रल्हाद देशपान्डे |
गझल |
असंभव |
आनंदयात्री |
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दुर्भाग्य |
जयानन्द |
गझल |
राजसा. |
कमलाकर देसले |
गझल |
जगणे म्हणजे अवघड चळवळ |
श्रीकांत वाघ |
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कविवर्य सुरेश भट आणि भदन्त आनंद कौसल्यायन |
विश्वस्त |
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कवितेचा प्रवास-२ |
विश्वस्त |
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झंझावात - २ |
निनावी (not verified) |
गझल |
ग झ ल : रात्र थोडी गार होती ..... |
खलिश |
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इय्याक नस्तईन (हम्द) |
विश्वस्त |
गझल |
''सरावाने'' |
कैलास |
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करारनामे-२ |
केशवसुमार |
गझल |
ग झ ल : मला का तो वियोगाची व्यथा देतो ? |
खलिश |
गझल |
भस्म |
ऋत्विक फाटक |
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एल्गार- कैफियत |
विश्वस्त |
गझल |
उत्तीर्ण होणार नाहीस |
बेफिकीर |
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शब्दास ही आज माझ्या ये लाज ती जराशी |
परमहन्स |