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नभी चान्दण्यांची जरी आरास आहे |
किरण पाटिल |
गझल |
ग झ ल : तू कधी स्वप्नात माझ्या येशील का ? ..... |
खलिश |
गझल |
रंग होतो सावळा |
भूषण कटककर |
गझलचर्चा |
चित्तरंजन भट यांची एक गझल |
सतीश |
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१ गझल : स्नेहदर्शन शहा |
विश्वस्त |
गझल |
सोकावलेल्या अंधाराला इशारा |
गंगाधर मुटे |
गझल |
कसे झाले? |
क्रान्ति |
गझल |
मागे जयजयकार चालला आहे |
बाळ पाटील |
गझल |
हात द्या, मात द्या ... |
अजय अनंत जोशी |
Photo |
कविता सादर करताना कविवर्य सुरेश भट. सोबतीस सुरेशकुमार वैराळकर. |
विश्वस्त |
गझल |
काळ |
जयन्ता५२ |
गझल |
...म्हणाले !! |
supriya.jadhav7 |
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एक संवाद-२ |
संपादक |
गझलचर्चा |
छंद, जाती, वृत्त आणि यतिविचार |
चित्तरंजन भट |
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४ गझला: अनंत ढवळे |
विश्वस्त |
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मी |
Sunil Deshmukh |
गझल |
रोखुन आसवे......... |
गौतम.रा.खंडागळे |
Photo |
कविवर्य सुरेश भट आणि भदन्त आनंद कौसल्यायन |
विश्वस्त |
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कवितेचा प्रवास-२ |
विश्वस्त |
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सुरेश-१ |
विश्वस्त |
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माझा भाऊ सुरेश १ |
विश्वस्त |
गझल |
ऊठ तू आता तरी |
निशिकांत दे |
गझल |
पुन्हा पुन्हा !! |
supriya.jadhav7 |
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दुर्भाग्य |
जयानन्द |
गझल |
चित्र जुने |
प्रल्हाद देशपान्डे |