गझल |
हे शहरच आता दिसते... |
मधुघट |
गझल |
शेवटाला चार नाही(त) !!! |
supriya.jadhav7 |
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पण आज अचानक कळले... |
मधुघट |
गझल |
मैफल |
क्रान्ति |
गझल |
श्रीमंत प्रेयसी |
भूषण कटककर |
गझल |
अस्ता॑चली रवी |
विकास सोहोनी |
गझल |
हळूहळू |
मयुरेश साने |
गझल |
ठेच |
योगेश वैद्य |
गझल |
लपंडाव |
प्रमोद बेजकर |
गझल |
ही गझल आणि एक सांगाडा |
भूषण कटककर |
गझल |
गझल - ६.(ब) : साकी मला तू असा, गळका जाम देऊ नको : दुरूस्त आणी पुनः संपादित |
खलिश |
गझल |
हातच दगडाखाली माझे... |
शैलेश कुलकर्णी |
गझल |
अजिंक्य! |
निलेश |
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भटसाहेब: प्रदीप कुलकर्णी |
विश्वस्त |
गझल |
शंकर रामाणींची गझल |
जयन्ता५२ |
गझल |
सांगू कसे...?(गझल) |
mamata.riyaj@gm... |
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मी.. माझ्यातला... |
मधुघट |
गझल |
निघाल्या गवळणी पाण्याला.... |
निलेश |
गझल |
दुःखे |
योगेश्वर रच्चा |
गझलचर्चा |
वेचक छंदविचार |
विश्वस्त |
गझल |
रूक्मिणी... |
निरज कुलकर्णी |
गझल |
छायेलाही त्यांच्या थोडा |
निशिकांत दे |
गझल |
मी तुझा (सुधारीत) |
अजय अनंत जोशी |
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माझा भाऊ सुरेश २ |
विश्वस्त |
गझल |
विटाळ |
काव्यरसिक |