गझल |
रुतावे कुठे |
जयश्री अंबासकर |
गझल |
...अंदाज आगळा आहे! |
मधुघट |
गझल |
भरावे शेत वात्सल्यात... |
अजय अनंत जोशी |
गझल |
मी तुझा (सुधारीत) |
अजय अनंत जोशी |
गझल |
विठू |
क्रान्ति |
गझल |
गझल |
संतोष कुलकर्णी |
गझल |
''सावली'' |
कैलास |
गझल |
विटाळ |
काव्यरसिक |
गझल |
रंग नभाचे... |
जनार्दन केशव म्... |
गझल |
देखावे.. |
विसोबा खेचर |
गझल |
कसेबसे |
योगेश वैद्य |
गझल |
मौन तुझे |
क्रान्ति |
गझल |
का मी आज पुन्हा उगीच बसलो मांडून ही खेळणी? |
प्रणव सदाशिव काळे |
गझल |
तिथे ये पहाटे... |
ह बा |
गझल |
पाहिजे तेव्हा कुणीही... |
केदार पाटणकर |
गझल |
धागे |
क्रान्ति |
गझल |
स्वीकारले |
केदार पाटणकर |
गझल |
इतके दव त्या रस्त्यावरती पडले होते... |
ज्ञानेश. |
गझल |
सिग्नल |
विजय दि. पाटील |
गझल |
विचाराधीन मन |
भूषण कटककर |
गझल |
चालताना ........ |
निलेश कालुवाला |
गझल |
इथे माझा ॠतू आहे इथे राहू नका कोणी... |
मयुरेश साने |
गझल |
अशक्य केवळ |
जयश्री अंबासकर |
गझल |
पूर्वीगत पण आता काही लिहिवत नाही |
अनिरुद्ध अभ्यंकर |
गझल |
जपून ठेवले |
मनीषा साधू |