गझलचर्चा |
आह को चहिये एक उम्र असर होने तक - अर्थ हवा आहे |
अजय अनंत जोशी |
गझल |
....सारे मला मिळाले !!! (गझल). |
supriya.jadhav7 |
गझल |
वाटे कधी कधी |
कैलास |
गझल |
...काळजी नको ! |
प्रदीप कुलकर्णी |
गझल |
.. तूही प्रसन्न हास ! |
प्रदीप कुलकर्णी |
गझल |
मला वेळ नाही |
अलखनिरंजन |
गझल |
तुझे ठसे... |
ज्ञानेश. |
गझल |
''चेहरा'' |
कैलास |
गझल |
आता |
मिल्या |
गझल |
तू भेटली नव्हतीस तोवर |
मिल्या |
गझल |
... किती लाचार व्हावे ? |
प्रदीप कुलकर्णी |
गझल |
बोचरे वारे |
विजय दि. पाटील |
गझल |
आता माझी एक ओळही मलाच भावत नाही |
भूषण कटककर |
गझल |
रात्रभर |
पुलस्ति |
गझल |
सूर्य माझ्या मागुनी येणार होता |
कैलास गांधी |
गझल |
बुरखा |
विसुनाना |
गझल |
चांदण्या लेऊन झाला... |
ह बा |
गझल |
खुशाली |
क्रान्ति |
गझल |
अंगार चित्तवेधी |
गंगाधर मुटे |
गझल |
... या नभी अंधारवेना |
अजय अनंत जोशी |
गझल |
घराणी |
ऋत्विक फाटक |
गझल |
सांग कोठे माणसा आहेस तू |
चित्तरंजन भट |
गझल |
निराधार |
सोनाली जोशी |
गझल |
एकटा सागरकिनारा एकटा |
चित्तरंजन भट |
गझल |
बोलणे माझे ... |
अजय अनंत जोशी |