गझल |
रात्र पुन्हा परीकथा रंगवेल |
प्रसाद लिमये |
गझल |
धुमसतो अद्याप माझ्या आत कोणी |
अजय अनंत जोशी |
गझल |
फुलासारखी... |
ज्ञानेश. |
गझल |
कोणी |
चित्तरंजन भट |
गझल |
खेळणे |
बेफिकीर |
गझल |
...काय करू मी ? |
प्रदीप कुलकर्णी |
गझल |
आता |
मिल्या |
गझल |
कधी कधी |
केदार पाटणकर |
गझल |
निराशा |
आदित्य_देवधर |
गझल |
बोचरे वारे |
विजय दि. पाटील |
गझल |
एक पाखरु फांदीवर... |
वैभव देशमुख |
गझल |
.. तूही प्रसन्न हास ! |
प्रदीप कुलकर्णी |
गझल |
जे जसे आहे तसे स्वीकारतो मी शेवटी... |
बेफिकीर |
गझल |
एक कविता |
अजय अनंत जोशी |
गझल |
...लुप्त |
ज्ञानेश. |
गझल |
वाटे कधी कधी |
कैलास |
गझल |
संपत नाही |
केदार पाटणकर |
गझल |
...काळजी नको ! |
प्रदीप कुलकर्णी |
गझल |
पाहिजे ते.. |
केदार पाटणकर |
गझल |
... किती लाचार व्हावे ? |
प्रदीप कुलकर्णी |
गझल |
''चेहरा'' |
कैलास |
गझल |
मनात माझ्या कुठून येते बरेच काही? |
विजय दि. पाटील |
गझल |
एकटा सागरकिनारा एकटा |
चित्तरंजन भट |
गझल |
घराणी |
ऋत्विक फाटक |
गझल |
आवरण |
ज्ञानेश. |