गझल |
'' प्रश्न'' |
कैलास |
गझल |
तू कधी ही न रागावली पाहिजे |
कैलास |
गझल |
चोर |
कैलास |
गझल |
सोसले ना लाड ते कंगाल झाले |
कैलास गांधी |
गझल |
सुटे, मोकळे होण्यामध्ये हात जरा गुरफटले होते |
कैलास गांधी |
गझल |
पेटले सोयी प्रमाणे आणि नंतर गार झाले... |
कैलास गांधी |
गझल |
आता जरा मी लबाड झालो |
कैलास गांधी |
गझल |
कर्जमाफीच्या आमिशावर अशी माजली शेते |
कैलास गांधी |
गझल |
सूर्य माझ्या मागुनी येणार होता |
कैलास गांधी |
गझल |
हा काळ हरामी मलाच गंडा घालून जातो |
कैलास गांधी |
गझल |
ध्वस्त झालो गाव सांगे पूर जेव्हा ओसरे |
कैलास गांधी |
गझल |
बदललास तू सहजच रस्ता आता तो सवयीचा झाला |
कैलास गांधी |
गझल |
धान्य हा तर दारूसाठी माल कच्चा.. |
कैलास गांधी |
गझल |
प्रश्न हा फिजूल आहे शब्द हे बेचव कसे... |
कैलास गांधी |
गझल |
रस्ता |
कौतुक शिरोडकर |
गझल |
रोजचेच |
कौतुक शिरोडकर |
गझल |
प्रश्न |
कौतुक शिरोडकर |
गझल |
उलटे |
कौतुक शिरोडकर |
गझल |
मोजले का तू कधी ? |
कौतुक शिरोडकर |
गझल |
ओळ्खीचे |
कौतुक शिरोडकर |
गझल |
तू |
कौतुक शिरोडकर |
गझल |
नाही |
कौतुक शिरोडकर |
गझल |
मिळते कोठे ? |
कौतुक शिरोडकर |
गझल |
भावलेले |
कौतुक शिरोडकर |
गझल |
कितीदा |
कौतुक शिरोडकर |