गझल |
ध्वस्त |
मधुघट |
गझल |
विमान माझे तयार होते ! |
मयुरेश साने |
गझल |
अंतरातली व्यथा अंतरी जपायची |
मिल्या |
गझल |
कोलाहलात सार्या कोणी अबोल आहे |
अविनाश ओगले |
गझल |
कुठलेच स्वप्न आता - डी. एन. गांगण |
मीर क्षीरसागर |
गझल |
गझल : ज्यामुळे जग ही नशीली रम्यता राखून आहे |
वैभव वसंतराव कु... |
गझल |
हे तेच ते दिनरात.. |
केदार पाटणकर |
गझल |
जायला हवे ! |
प्रदीप कुलकर्णी |
गझल |
रसायन ! |
प्रदीप कुलकर्णी |
गझल |
जरी वाटेल माझे बोलणे |
अजय अनंत जोशी |
गझल |
शेवटी झोपायचे आहे सदासाठी तुला |
बेफिकीर |
गझल |
...पुढे मी गेलो ! |
प्रदीप कुलकर्णी |
गझल |
गझल तालात चालावी |
भूषण कटककर |
गझल |
अस्पर्श स्वप्ने |
प्रसाद लिमये |
गझल |
ज्या मरणाला ... |
संतोष बडगुजर |
गझल |
रुतावे कुठे |
जयश्री अंबासकर |
गझल |
अंतरास जाळते व्यथा |
स्नेहदर्शन |
गझल |
भरावे शेत वात्सल्यात... |
अजय अनंत जोशी |
गझल |
मन्मना...! |
काव्यरसिक |
गझल |
...अंदाज आगळा आहे! |
मधुघट |
गझल |
''सावली'' |
कैलास |
गझल |
आम्ही तहात गेलो! |
मानस६ |
गझल |
देखावे.. |
विसोबा खेचर |
गझल |
प्रवास |
सोनाली जोशी |
गझल |
तिथे ये पहाटे... |
ह बा |