गझल |
कशाचा शोध काही घेत नसतो |
चित्तरंजन भट |
गझल |
जागरण डोळ्यांमधे आता लमाण्यासारखे नाही |
चित्तरंजन भट |
गझल |
एकटा सागरकिनारा एकटा |
चित्तरंजन भट |
गझल |
मुलाहिजा |
चित्तरंजन भट |
गझल |
आयुष्या |
जगदिश |
गझल |
आजही स्मरणात सारे |
जगदिश |
गझल |
विसावा |
जगदिश |
गझल |
वायदे करती हजारो |
जगदिश |
गझल |
ना ठावुक तुजला... |
जनार्दन केशव म्... |
गझल |
तुझ्या नि माझ्या भेटीचे युग... |
जनार्दन केशव म्... |
गझल |
बेसुरी सुरुवात... |
जनार्दन केशव म्... |
गझल |
खूप झाले, हे व्यथांना रोजचे.... |
जनार्दन केशव म्... |
गझल |
गुंजते कानात हाळी... |
जनार्दन केशव म्... |
गझल |
मला ठावुक की... |
जनार्दन केशव म्... |
गझल |
कुणी न समजुन घेतला... |
जनार्दन केशव म्... |
पृष्ठ |
ए. के. शेख यांची गझल... |
जनार्दन केशव म्... |
गझल |
अनोळखी होऊन जगावे.... |
जनार्दन केशव म्... |
गझल |
प्रमोद खराडे यांची गझल... |
जनार्दन केशव म्... |
गझल |
देशील मला तू अश्रू.... |
जनार्दन केशव म्... |
गझल |
उधाणलेला समुद्र.... |
जनार्दन केशव म्... |
गझल |
खरेच राणी... |
जनार्दन केशव म्... |
पृष्ठ |
राहिले रे अजून श्वास किती ?* |
जनार्दन केशव म्... |
गझल |
परिस्थितीच्या उन्हात... |
जनार्दन केशव म्... |
गझल |
रंग नभाचे... |
जनार्दन केशव म्... |
गझल |
बोलली डोळ्यातुनी ती आणि कविता सुचत गेली... |
जनार्दन केशव म्... |