शे(अ)रो शायरी, भाग-५ : दोस्ती से दुश्मन... |
मानस६ |
शे(अ)रो-शायरी, भाग-२: पा-ब-गिल सब है |
मानस६ |
शे(अ)रो-शायरी, भाग-९ : टूटी है मेरी नीं... |
मानस६ |
शे(अ)रो शायरी, भाग-६ : तफरीह का सामान क... |
मानस६ |
शे(अ)रो-शायरी, भाग-३ : तुम्हारे खत में |
मानस६ |
शे(अ)रो-शायरी , भाग १०: वह शख़्स कि म... |
मानस६ |
शे(अ)रो शायरी, भाग-७ : वो लब कि जैसे स... |
मानस६ |
शे(अ)रो-शायरी, भाग-४ : खिलौने नहीं चलते |
मानस६ |
तळमळ |
मिलिन्द देओगओन्कर |
१ गझल : योगेश वैद्य |
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तेंव्हाही |
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लोकांची संपदा |
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रंग माझा वेगळा - लता मंगेशकर ह्यांचे पत... |
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मी पाहिले उजळूनही... |
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संभ्रम की स्पष्टता? |
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भटसाहेब ३ |
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हरफनमौला सुरेश |
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पहा ग़ालिब काय म्हणतो |
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फलाट |
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सुरुवात |
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माझा भाऊ सुरेश २ |
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बर्यापैकी |
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माझा पत्ता असणारा हा गावच नाही |
विश्वस्त |
एल्गार- कैफियत |
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