गझल |
का सूर नवा हा छेडत जाते भासांची वीणा ? |
सोनाली जोशी |
गझल |
पसारा ! |
प्रदीप कुलकर्णी |
गझल |
कुर्निसात |
केदार पाटणकर |
गझल |
कुपी |
आनंदयात्री |
गझल |
खरेच राणी... |
जनार्दन केशव म्... |
गझल |
आता |
अनिल रत्नाकर |
गझल |
''वाटतो जरी प्रसन्न मी वरुन'' |
कैलास |
गझल |
चल पुढे |
भूषण कटककर |
गझल |
एकदा आहे तुला भेटायचे |
अनिरुद्ध अभ्यंकर |
गझल |
स्वीकार आशयाची |
भूषण कटककर |
गझल |
तुझ्यासारखे वाचता येत नाही |
जयदीप |
गझल |
नाव तुझ्या ओठावर... |
वैभव देशमुख |
गझल |
माणसे |
बापू दासरी |
गझल |
भान माझे... (अजब) |
अजब |
गझल |
किनारा गाठण्यासाठी |
बेफिकीर |
गझल |
'' तीळ '' |
कैलास |
गझल |
टाहो... |
अजय अनंत जोशी |
गझल |
...जिथल्या तिथेच सारे ! |
प्रदीप कुलकर्णी |
गझल |
शोधतो आहे... |
मधुघट |
गझल |
पडल्यापडल्या जागोजागी उसवत आहे |
विजय दि. पाटील |
गझल |
स्मशानात जागा हवी तेवढी |
गंगाधर मुटे |
गझल |
...शांत समईसारखा ! |
प्रदीप कुलकर्णी |
गझल |
उदास...! |
प्रदीप कुलकर्णी |
गझल |
हमी |
आनंदयात्री |
गझल |
ह्या मनाचे, दुश्मनाचे काय करावे ?.... |
खलिश |