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राहिले रे अजून श्वास किती ?* |
जनार्दन केशव म्... |
गझल |
बांधुन मी... |
जनार्दन केशव म्... |
गझल |
ना ठावुक तुजला... |
जनार्दन केशव म्... |
गझल |
तुझ्या नि माझ्या भेटीचे युग... |
जनार्दन केशव म्... |
गझल |
बोलली डोळ्यातुनी ती आणि कविता सुचत गेली... |
जनार्दन केशव म्... |
गझल |
बेसुरी सुरुवात... |
जनार्दन केशव म्... |
गझल |
गुंजते कानात हाळी... |
जनार्दन केशव म्... |
गझल |
एकदा शून्यास माझ्या तू वजा कर... |
जयदीप |
गझल |
तुझ्यासारखे वाचता येत नाही |
जयदीप |
गझल |
शेर तुझ्यावर लिहिला आहे |
जयदीप |
गझल |
नेहमी गर्दी तुला जी लागते |
जयदीप |
गझल |
मन आता हे कळल्यावरती उदास नाही.. |
जयदीप |
गझल |
अनुभव |
जयदीप |
गझल |
सांग कसे ते कण्हतानाही गात असावे... |
जयदीप |
गझल |
ऎकले आहे तुला ती साथ देते |
जयदीप |
गझल |
रस्ता देतो |
जयदीप |
गझल |
मनाच्या अडगळीमधले बिलोरी आरसे शोधू |
जयदीप |
गझल |
ज्या क्षणी मी थांबलो, ती थांबली |
जयदीप |
गझल |
वरून शांत शांत वाटते किती... |
जयदीप |
गझल |
झोप लागायला पाहिजे |
जयदीप |
गझल |
विचित्र |
जयदीप |
गझल |
मधेच वाहते मधेच थांबते |
जयदीप |
गझल |
दाखला |
जयन्ता५२ |
गझल |
शंकर रामाणींची गझल |
जयन्ता५२ |
गझल |
फार आता फार झाले |
जयन्ता५२ |