गझल |
एकरूप |
चांदणी लाड. |
गझल |
मुलाहिजा |
चित्तरंजन भट |
गझल |
फार आता फार झाले |
जयन्ता५२ |
गझल |
असाच विस्कळीत मी |
भूषण कटककर |
गझल |
अज्ञातवास |
प्रदीप कुलकर्णी |
गझल |
माझी आई |
ह बा |
गझल |
आश्चर्य काय ती ही आनंदली असावी |
मिल्या |
गझल |
'जग मल्लीकाचे आहे' - कवी ज्ञानेशची फर्माईश! |
गंभीर समीक्षा |
गझल |
दे चार श्वास दे रे .. |
शाम |
गझल |
कसेबसे |
योगेश वैद्य |
गझल |
डोळे |
मयूर |
गझल |
झेलू |
अनिल रत्नाकर |
गझल |
रोजचेच.. (तरही गझल) |
ज्ञानेश. |
गझल |
अदृश्यच असतो क्रूस कधी |
चित्तरंजन भट |
गझल |
किती सुखाचे असेल |
क्रान्ति |
गझल |
तुझे घन आजही बरसून माझी आसवे गेले |
वैभव वसंतराव कु... |
गझल |
घोटाळा (हझल) |
अजय अनंत जोशी |
गझल |
माकडे ही |
अनिल रत्नाकर |
गझल |
भीती |
अनिल रत्नाकर |
गझल |
काही असे घडावे |
जयन्ता५२ |
गझल |
...मी आहे तिथे ! |
प्रदीप कुलकर्णी |
गझल |
मोगरा |
अजय अनंत जोशी |
गझल |
गुलाम केले आम्हाला... |
जिवा |
गझल |
तुझा दोष नाही |
मी अभिजीत |
गझल |
रात्रभर |
पुलस्ति |