गझल |
गारगोट्या |
विसुनाना |
गझल |
बस जराशा मी पणाने.... |
अमित वाघ |
गझललेख |
शे(अ)रो-शायरी, भाग-९ : टूटी है मेरी नींद मगर तुमको इससे क्या |
मानस६ |
गझल |
आवेग दाटलेला !!! |
supriya.jadhav7 |
गझल |
शेवट लिहलेला असतो सुरुवातीवरती |
शाम |
गझल |
...दिवेलागणीच्या वेळी ! |
प्रदीप कुलकर्णी |
गझल |
पावसाळा |
रवि केसकर |
गझल |
ती काळजीत असते... |
ह बा |
गझल |
१२.५५ ए एम - ११.०२.०९ ट्रान्स! |
भूषण कटककर |
गझल |
विसावा |
प्रदीप कुलकर्णी |
गझल |
अंतरे राखूनही ... |
अजय अनंत जोशी |
गझल |
पायथा बांधायला आधार नव्हता जोरकस |
बेफिकीर |
गझल |
गर्दी |
आदित्यदेवधर |
गझल |
...त्याचीच ओढा री पुन्हा!! |
प्रदीप कुलकर्णी |
गझल |
खेळ |
गणेशप्रसाद |
गझल |
वाढतो आहे पसारा कागदांचा.. |
ज्ञानेश. |
गझल |
किती दिवस मी रदीफ व्हावे |
सुनेत्रा सुभाष |
गझल |
..... पुन्हा पुन्हा ! |
जयश्री अंबासकर |
गझल |
आवाज आसवांचा |
आदित्य_देवधर |
गझल |
पुन्हा "भेट चोरटी.." |
ज्ञानेश. |
गझल |
तरी हात हाती हवासा तुझा... |
अमित वाघ |
गझललेख |
शे(अ)रो शायरी, भाग-६ : तफरीह का सामान किया जाये |
मानस६ |
गझल |
स्वप्न आता पापणीला छळत नाही |
प्रमोद बेजकर |
पृष्ठ |
मी पाहिले उजळूनही... |
विश्वस्त |
गझल |
कसा मेळ व्हावा? |
ज्ञानेश. |