गझल |
योग नाही! |
क्रान्ति |
गझल |
सुखाच्या सर्व व्याख्यांना जरा बदलून पाहू या! |
बहर |
गझल |
गझल |
अनंत ढवळे |
गझल |
धुळीतला ध्रुवतारा...! |
प्रदीप कुलकर्णी |
गझल |
पंढरी |
मिल्या |
गझल |
शब्दार्थ |
अजय अनंत जोशी |
गझल |
क्षणोक्षणी.... |
अमित वाघ |
गझल |
शुन्य शुन्यातुन वजा |
भूषण कटककर |
गझल |
माणसाला म्हणे मारते भाकरी! |
ह बा |
गझल |
अचाट तारे तोडत होता |
अनिल रत्नाकर |
गझल |
काही स्वगते... |
व्योम |
गझल |
स्वप्न एखादे जणू... |
मिल्या |
गझल |
कवडसे |
मधुघट |
गझल |
येत नाही मी |
अनिल रत्नाकर |
गझल |
गंध नाही फारसा... |
ज्ञानेश. |
गझल |
कधीच नाही |
जयश्री अंबासकर |
गझल |
' कहाणी...'( गझल ) |
mamata.riyaj@gm... |
गझल |
झेंडा |
विसुनाना |
गझल |
हृदय असते उगाचच! |
भूषण कटककर |
गझल |
करून झाले |
क्रान्ति |
गझल |
एक पाखरु फांदीवर... |
वैभव देशमुख |
गझल |
फुलांना जर असे |
प्रमोद बेजकर |
गझल |
शरपंजर |
पुलस्ति |
गझल |
का हवी असतात तेव्हा नेमकी रुसतात नाती? |
बेफिकीर |
गझल |
माझ्या तुझ्यात काही |
जयन्ता५२ |