नवे लेखन
प्रकार | शीर्षक | लेखक | प्रतिसाद |
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गझल | मी फुलांची मूक भाषा जाणतो..... | खलिश | 5 |
गझल | जगणे असते... (अजब) | अजब | 6 |
गझल | व्यर्थ जगणे ! | supriya.jadhav7 | 3 |
गझल | वखवखे मला | भूषण कटककर | 4 |
गझल | जशी रात्र झाली... | केदार पाटणकर | 6 |
गझल | करणार आहे | आदित्य_देवधर | 2 |
गझल | ...जन्म चकव्यासारखा ! | प्रदीप कुलकर्णी | 11 |