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पाहिजे तेव्हा कुणीही... |
केदार पाटणकर |
6 August 2014 |
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चांदणी, चंचला, कामिनी, सुंदरा, मोहिनी, अप्सरा, कोण आहेस तू |
वैभव देशमुख |
19 October 2015 |
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खूप बोलू लागला अंधार नंतर |
चित्तरंजन भट |
21 December 2015 |
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सिग्नल |
विजय दि. पाटील |
25 December 2015 |
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मागचे येतील नंतर |
केदार पाटणकर |
19 December 2015 |
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नवी गझल |
विजय दि. पाटील |
1 December 2015 |
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नाव रिकामी |
केदार पाटणकर |
22 June 2015 |
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विचित्र |
जयदीप |
16 December 2015 |
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वेढुनी आवेग माझा रोज गाभुळतेस तू |
बेफिकीर |
8 February 2011 |
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अनुभव |
जयदीप |
27 November 2015 |
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जागरण डोळ्यांमधे आता लमाण्यासारखे नाही |
चित्तरंजन भट |
27 August 2014 |
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अफवा |
इंद्रजित उगले |
26 July 2015 |
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गझल |
विजय दि. पाटील |
30 June 2015 |
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वाहते का ? हवाच आहे की ! |
चित्तरंजन भट |
18 June 2015 |
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गझल |
विजय दि. पाटील |
12 June 2015 |
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बोलली डोळ्यातुनी ती आणि कविता सुचत गेली... |
जनार्दन केशव म्... |
27 May 2015 |
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क्षण तो सोसाट्याचा होता |
वैभव देशमुख |
6 June 2015 |
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थांग मनाचा कधी गवसला |
चित्तरंजन भट |
20 May 2015 |
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विश्व समजू लागलो अपुल्या घराला |
वैभव देशमुख |
11 May 2015 |
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शेर तुझ्यावर लिहिला आहे |
जयदीप |
15 May 2015 |
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जगण्याचे मातेरे होते... |
वैभव देशमुख |
4 April 2015 |
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आपण |
ज्ञानेश. |
29 May 2015 |
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घर |
ज्ञानेश. |
13 May 2015 |
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शब्द बेहोश कर.. |
सुशांत खुरसाले. |
28 February 2015 |
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कैफ हा ओसाड का इतका ? |
चित्तरंजन भट |
11 May 2015 |