नवे लेखन
| प्रकार | शीर्षक | लेखक |
प्रतिसाद |
|---|---|---|---|
| गझल | नाचली काळीज ते पेलीत काही माणसे | ह बा | 31 |
| पृष्ठ | मार्गदर्शन | विश्वस्त | 36 |
| गझल | इतके दव त्या रस्त्यावरती पडले होते... | ज्ञानेश. | 37 |
| गझल | मी मिटून डोळे कविता जागत असतो | चित्तरंजन भट | 47 |
| गझल | करारनामे | ॐकार | 51 |
| गझल | वाटले बरे किती! | चित्तरंजन भट | 53 |
| पृष्ठ | आपणांस काय वाटते? | विश्वस्त | 78 |