गझल |
कशी अंकुरावीत आता बियाणे? |
गंगाधर मुटे |
गझल |
स्वप्नभूमी |
महेश बाहुबली |
गझल |
तू कधी ही न रागावली पाहिजे |
कैलास |
गझल |
माहीत नाही... |
जिज्ञासा... |
गझल |
कसे मानू तुला माझा... |
जनार्दन केशव म्... |
गझल |
दिसे दिसायास... |
वैभव देशमुख |
गझल |
अवेळी अशा.. |
ज्ञानेश. |
गझल |
कुठे नेतील या वाटा मनाला.... |
अनंत ढवळे |
गझल |
पत्रे |
केदार पाटणकर |
गझल |
''श्वास झाला मोकळा की,कोंडल्यागत वाटते'' |
कैलास |
गझल |
जिंदगी |
मिल्या |
गझल |
'' तीळ '' |
कैलास |
गझल |
काल ज्या क्षणी तुला मी पाहिले प्रिये |
कैलास |
गझल |
तुझ्याविना हे शहर तुझे |
वैभव जोशी |
गझल |
वाटते बोलायचे राहून गेले |
कैलास |
गझल |
...मित्रा |
संतोष कुलकर्णी |
गझल |
पुनर्भेट |
ज्ञानेश. |
गझल |
इकडे कुठे रे आज... या भागात? |
बेफिकीर |
गझल |
धोका |
क्रान्ति |
गझल |
तुला समजलो ,कुठे समजली तुझी सहजता |
अनंत ढवळे |
गझल |
पुढारी |
अजय अनंत जोशी |
गझल |
कवडसा |
बापू दासरी |
गझल |
कळता कळता... |
ज्ञानेश. |
गझल |
...वेड पांघरावे मी ! |
प्रदीप कुलकर्णी |
गझल |
रेंगाळणे |
अनंत ढवळे |